राजेश सोनी | Navpravah.com
सर्वोच्च न्यायालय ने लिंग निर्धारण परिक्षण और उससे जुड़ी सामग्री का इंटरनेट प्रकाशन पर कड़ा रुख अख्तियार किया है। केंद्र सरकार की केंद्रक अभिकरण को सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया है कि इंटरनेट कंपनियां जैसे कि गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट समेत सभी कंपनियों के साथ बैठक बुलाकर सेक्स निर्धारण संबंधी सामग्री के प्रकाशन को इंटरनेट से हटा दिया जाए।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि इन इंटरनेट साइट्स जैसे की गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और याहू पर ऐसी सामग्री मौजूद हैं, जो प्रसव से पहले ही लिंग जांच संबंधी सामग्री मुहैया कराता है। भारत में पूर्व प्रसव लिंग जांच के लिए बने कानून का उल्लंघन न हो पाए, इसलिए सर्वोच्च न्यायालय ने केंद सरकार को इन इंटरनेट साइट्स पर प्रसव पूर्व लिंग जांच संबंधी सामग्री के प्रकाशन को रोकने के लिए कहा हैं।
बता दें कि यह मामला असल में गूगल, याहू और माइक्रोसॉफ्ट जैसे इंटरनेट साइट्स के माध्यम से प्रसव पूर्व लिंग परिक्षण संबंधित विज्ञापन दिखाए जाने से जुड़ा है। विदेशों में इन इंटरनेट साइट्स पर इस तरह के तमाम विज्ञापन मौजूद हैं, जिससे लिंग परिक्षण को बढ़ावा मिलता है। भारत में प्रसव के पहले लिंग परिक्षण कराना कानूनी अपराध है और इसके लिए भारत में सजा भी लागू है।
गौरतलब है कि इससे पहले सर्वोच्च न्यायालय ने 19 सितंबर 2006 को भी गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और याहू को अपने साइट्स पर से ऐसे सामग्री हटाने के आदेश दिया था, जिससे पीसीपीएनडीटी अधिनियम 1994 के प्रावधान -22 का उल्लंघन होता है।