आनंद रूप द्विवेदी,
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सरकार द्वारा डीमोनेटाईजेशन के उद्देश्य को सही ठहराया है। साथ ही शीर्ष न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिए कि आम आदमी को हो रही परेशानियों पर उचित कदम उठाये जायें, ताकि उन्हें आसानी से बैंक्स और एटीएम से पैसे मिल सकें।
न्यायालय ने कहा कि नोट बंदी का उद्देश्य अकूत काले धन को समाप्त करना है, जोकि सराहनीय है। जस्टिस टी एस ठाकुर और जस्टिक चन्द्रचूड की युगल खंडपीठ ने कहा कि ब्लैक मनी के विरुद्ध सरकार का यह कदम सराहनीय इसलिए भी है, क्योंकि ब्लैक मनी से आतंकवाद को सहूलियत मिलती है और देश की आर्थिक व्यवस्था लचर पड़ती है।
सुनवाई के दौरान न्यायालय ने अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी से एफ़ी डेविट माँगा जिसमें उन्हें आम आदमी को होने वाली असुविधाओं के प्रति लिए गये आवश्यक कदमों की जानकारी हो। साथ ही आहरण राशि की सीमा में भी बढ़ोतरी के निर्देश दिए गये।
ये सुनवाई एक जनहित याचिका के दौरान हुई, जिसकी कपिल सिब्बल और कामिनी जैसवाल द्वारा पैरवी कि जा रही है। सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कहा कि हम सरकार के इस फैसले पर कोई निषेध नहीं चाहते, बल्कि उसके लागू किये जाने में क्या वैधानिकता है और पारित किये जाने का क्या तरीका है, इसपर सवाल कर रहे हैं।
सरकार के इस अहम फैसले पर बहस करते हुए एक ओर जहाँ सिब्बल ने इसे नागरिकों के प्रति दुर्व्यवहार करार दिया, वहीं रोहतगी ने कहा कि जिसने अपने अवैध धन का खुलासा नहीं किया, वो अपने पैसों को टॉयलेट पेपर कि तरह इस्तेमाल कर सकता है।