एनपी न्यूज़ डेस्क |Navpravah.com
उच्चतम न्यायालय ने आज एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छामृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत को सशर्त मान्यता दे दी गयी है। कोर्ट की ओर से यह भी कहा गया कि इस दौरान इच्छा मृत्यु मांगने वाले के सम्मान का ख्याल रखना भी बेहद जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, कि हर व्यक्ति को गरिमा के साथ मरने का अधिकार है और किसी भी इंसान को इससे वंचित नहीं किया जा सकता, सुप्रीम कोर्ट ने इच्छामृत्यु के लिए एक गाइडलाइन जारी की है। जो कि कानून बनने तक प्रभावी रहेगी।
दीपक मिश्रा की अगुवाई में पांच जजों की संवैधनिक पीठ ने ये ऐतिहासिक फैसला सुनाया, दरअसल शीर्ष कोर्ट उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मरणासन्न व्यक्ति द्वारा इच्छामृत्यु के लिए लिखी गई वसीयत को मान्यता देने की मांग की गई थी।
दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, बीमार व्यक्ति यह तय कर सकता है कि लाइफ सपोर्ट कब बंद करना है। लाइफ सपोर्ट उसी स्थिति में बंद किया जा सकता है। जब मेडिकल बोर्ड यह घोषित कर दे कि व्यक्ति का इलाज नामुमकिन है। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी गाइडलाइन में कहा कि इच्छामृत्यु पर आखिरी फैसला मेडिकल बोर्ड करेगा। बोर्ड तय करेगा कि इलाज संभव है या नहीं, कोर्ट ने कहा कि अगर मेडिकल बोर्ड कहेगा कि इलाज संभव नहीं तो लाइफ सपोर्ट सिस्टम हटा सकते हैं।
‘पैसिव यूथेनेशिया’ (इच्छामृत्यु) वह स्थिति है जब किसी मरणासन्न व्यक्ति की मौत की तरफ बढ़ाने की मंशा से उसे इलाज देना बंद कर दिया जाता है। दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले साल 11 अक्तूबर को इस याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।