सुनंदा पुष्कर सुसाइड मामला: दिल्ली पुलिस का बड़ा खुलासा

एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.co
सुनंदा पुष्कर की मौत हादसा नहीं, हत्या थी। यह बात दिल्ली पुलिस की शुरुआती रिपोर्ट में कही गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनंदा पुष्कर के शरीर पर चोट के कई निशान थे।
रिपोर्ट में बताया गया था कि झगड़े की वजह से सुनंदा पुष्कर के शरीर पर जख्म के निशान थे। थरूर से वर्ष 2010 में विवाह करने वाली पुष्कर को दिल्ली के लीला पैलेस होटल में 17 जनवरी 2014 को रहस्यमयी हालत में मृत पाया गया था।रिपोर्ट में सुंनदा की जितनी भी चोटों का जिक्र किया गया है। वे सभी सामान्य तौर पर मारपीट किये थे। सिवाए चोट नंबर 10 और 12 के, चोट नंबर 10 जो कि इंजेक्शन की वजह से था और चोट नंबर 12 पर दांतों के काटने के निशान थे।
1 से 15 तक जितने भी अलग-अलग चोट के निशान थे, वे सभी 12 घंटे से लेकर 4 दिनो तक के लिए थे, रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर जाहिर किया गया है कि इंजेक्शन के निशान ताजा थे। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि, सुनंदा पुष्कर और उनके पति शशि थरूर के बीच झगड़े की वजह से यह निशान थे।  जैसा कि उनके निजी सहायक नारायण सिंह ने अपने बयान में कहा था।
इस रिपोर्ट को दक्षिण दिल्ली क्षेत्र के तत्कालीन पुलिस ज्वॉइंट कमिश्नर विवेक गोगिया को दिया गया था, जिन्हें इस केस को व्यक्तिगत तौर पर मॉनिटर करने के लिए कहा गया था। इस रिपोर्ट को बाद में गृह मंत्रालय को सौंप दिया गया था।
यहां तक कि जब यह बात जाहिर हुई कि यह खुदकुशी नहीं, बल्कि हत्या का मामला है तो भी पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज नहीं किया। और जब इस मामले को क्राइम ब्रांच को सौंपा गया तो एक हफ्ते के बाद ही इस बात पर फैसला लिया गया कि हत्या के लिए एक FIR दर्ज की जाएगी और जांच शुरू किया जाएगा। ज्वॉइंट पुलिस कमिश्नर गोगिया ने चार घंटे के भीतर ही मैनेज करके इस केस को क्राइम ब्रांच से वापस ले लिया। क्राइम ब्रांच ने भी घटनास्थल, होटल लीला के उस कमरे का निरीक्षण किया था जहां सुनंदा पुष्कर की हत्या हुई थी। तत्कालीन दिल्ली पुलिस प्रमुख बीएस बस्सी के नेतृत्व में 1 साल की देरी से इस केस में एक FIR दर्ज किया गया और करीब दो साल तक जांच चली।
दिल्ली पुलिस की सीक्रेट रिपोर्ट में सभी दस्तावेज थे। जिसमें यह साफ है कि सुनंदा पुष्कर की हत्या हुई थी, लेकिन फिर भी पुलिस ने FIR दर्ज नहीं किया। रिपोर्ट में के मुताबिक  सुनंदा पुष्कर के हाथ पर दांत के काटने के निशान और साथ ही इंजेक्शन के निशान भी हैं, जिससे यह सवाल खड़ा होता है कि जहर मुंह के जरिए दिया गया या फिर इंजेक्शन के जरिये जहर दिया गया था।

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