अमित द्विवेदी,
विभिन्न मांगों को लेकर आज बैंकिंग, इंश्योरेंस और टेलीकॉम सहित कई क्षेत्रों के कर्मचारी हड़ताल पर रहेंगे। मज़दूर संघों ने दावा किया है कि देश भर में करीब 18 करोड़ कर्मचारी हड़ताल में भाग लेंगे। सरकार की निवेश और श्रमिक नीतियों से कर्मचारी नाखुश हैं, जिसके विरोध में यह कदम उठाया गया है। जानकारी के मुताबिक पब्लिक सेक्टर के 6 संगठन भी ट्रेड यूनियन के इस हड़ताल का हिस्सा रहेंगे।
हड़ताल से प्रभावित होने वाले सामान्य जनजीवन की व्यवस्था गड़बड़ाए न इसलिए सरकार ने पहले ही सभी सम्बंधित मंत्रालयों को निर्देश जारी कर दिया है। कुछ ट्रेड यूनियन ने सरकार की हड़ताल वापस लेने की अपील को ठुकराते हुए स्पष्ट किया कि जब तक उनकी प्रमुख मांगों पर विचार नहीं किया जाता, तब तक इस मसले पर सरकार से बातचीत नहीं की जाएगी।
संभावना है कि इस हड़ताल की वजह से बैंकिंग, सार्वजनिक परिवहन, अस्पताल और दूरसंचार जैसी सेवाओं पर असर पड़ सकता है। हालाँकि इस हड़ताल में रेलवे और अन्य केंद्रीय कर्मचारियों ने भाग नहीं लिया है। जिससे यातायात में रेलवे पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। लेकिन ऐसी संभावना जताई जा रही है कि अन्य सार्वजनिक वाहनों पर इसका असर हो सकता है।
कुछ संगठनों ने सरकार की व्यवस्था पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि सरकार घाटे के नाम पर सार्वजनिक उपक्रमों को निजी हाथों में देना चाहती है, लेकिन हम ऐसा होने नहीं देंगे। क्योंकि निजी हाथों में जाते ही कर्मचारियों के साथ अन्याय होना शुरू हो जाएगा।
बैंकों का कामकाज भी होगा प्रभावित-
हड़ताल के मद्देनजर कई बैंकों के कामकाज पर भी प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए बैंकों ने अपने ग्राहकों को पहले से ही संभावित प्रभाव की सूचना दे दी है। बैंक संगठन सरकार के बैंकिंग सुधार, बैंकों के निजीकरण और बैंकों के विलय के खिलाफ इस हड़ताल में शामिल हो रहे हैं।
ट्रेड यूनियन की 12 सूत्री मांगें हैं। यूनियन ने स्पष्ट किया है कि इन प्रमुख मांगों पर यदि सरकार विचार करती है, तभी बातचीत होगी।
प्रमुख 12 मांगें निम्न हैं-
*मजदूरों के लिए न्यूनतम वेतन 18,000₹ हो
*पेंशन में वृद्धि 3000 से कम न हो
*यूनिवर्सल सोशल सिक्यूरिटी
*समान न्यूनतम मजदूरी
*पीएसयू के विनिवेश पर रोक
*मजदूर कानूनों में नियोक्ता के हित में होने वाले सुधार पर रोक
*रेलवे, बीमा व रक्षा में एफडीआई पर रोक
*वादा कारोबार पर रोक लगे
*बेसिक लेबर कानून सख्ती से लागू हो
*वेतन, बोनस, पीएफ की सभी तरह की सिलिंग खत्म हो, ग्रेच्युटी में वृद्धि हो
*आवेदन के 45 दिनों के अंदर ट्रेड यूनियनों का अनिवार्य रजिस्टेशन
*रोजगार सृजन पर फोकस करना।
ट्रेड यूनियन का मानना है कि यह कर्मचारियों के हितों के लिए आवश्यक है, जिसपर सरकार को विचार पड़ेगा। सरकार द्वारा इन मुद्दों पर विचार करने के बाद ही बातचीत की जाएगी।