शुरू हुआ चार दिवसीय पर्व छठ

छठ पूजा
सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाने वाले पर्व छठ पूजा की शुरुआत हो चुकी है। भगवान भास्कर और छठी मैय्या के लिए किया जाने वाला ये चार दिवसीय त्योहार उत्तर भारत के एक बड़े जनसमूह के लिए भारी महत्व रखता है।
बिहार के गाँवों की तरह छठ की पक्की घाटें अब भी नहीं हैं और ना ही छठ एक अनिवार्य व्रत के रूप में संस्कृति का हिस्सा बना है। कुछ मन्नत के कारण और कुछ देखा-देखी,  लोग भोर में उठाकर अंगऊ (पूजा या प्रसाद का गेहूं ) पीसने लगते हैं।
दिवाली से छठ के बीच यह छह दिन का समय हमारे लिए लंबे इंतज़ार का समय होता और घर के लोगों के लिए व्यस्तता का। वैसे, यह व्रत भी छठवें दिन नहीं होता, बल्कि पहले ही शुरू हो जाता। पहले दिन शाम को व्रत करने वाले लोग नए चावल का भात और लौकी की सब्ज़ी खा कर व्रत की शुरुआत करते हैं।
सहज सहकारिता और परस्परता का यह भाव ही हमारे गांवों की पहचान थी, जिसे छठ जैसे त्यौहार और अधिक बढ़ते थे, अगले दिन व्रत करने वाले अन्न-जल त्यागकर उपवास करते हैं और शाम को प्रसाद में नए चावल का खीर खाकर उपवास भंग करते हैं। तीसरा दिन इस पर्व का सबसे महत्त्वपूर्ण दिन होता है। पूरे दिन उपवास के बाद शाम को अर्घ्य का दिन और बच्चों के लिए उत्सव का दिन।

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