अनुज हनुमत|Navpravah.com
आज मुंबई स्थित एलफिंस्टन रोड के रेलवे स्टेशन के फुट ओवर ब्रिज पर जो भगदड़ मची, उसमें अब तक 30 से भी ज्यादा यात्रियों की मौत हो चुकी है। मौत का आंकड़ा और बढ़ सकता है क्योंकि अस्पताल में भर्ती अनेक घायलों की हालत गंभीर है।
29 सितम्बर को सुबह जब बरसात हो रही थीं तब पानी से बचने के लिए हजारों यात्री पुल पर ही खड़े रहे, लेकिन तभी पुल के टूटने की अफवाह उड़ी और देखते-देखते मौत की भगदड़ मच गई। सब जानते हैं कि किसी भी रेलवे स्टेशन पर रेलवे पुलिस के साथ रेलवे सुरक्षा बल के जवान भी तैनात होते हैं। हालात को नियंत्रण में करने के लिए रेलवे का अपना स्टॉफ भी होता है।
सवाल उठता है कि हादसे के वक्त रेलवे से जुड़े लोग कहां थे? क्या रेलवे पुलिस और सुरक्षा बल के जवानों की कोई जवाबदेही नहीं है? जब बरसात की वजह से भीड़ पुल पर खड़ी रही तो पुलिस ने हालात क्यों नहीं संभाले? सब जानते हैं कि हर स्टेशन पर पुलिस और सुरक्षा बल के जवान लूट-खसोट में लगे रहते हैं। जांच पड़ताल के नाम पर यात्रियों को ही परेशान किया जाता है।
यदि पुलिस और सुरक्षा बल के जवान ईमानदारी से ड्यूटी दे रहे होते तो 30 यात्रियों की मौत नहीं होती। किसी भी जांच से पहले पुलिस और और सुरक्षा बल के जिम्मेदार अधिकारियों को सस्पेंड किया जाना चाहिए। स्टेशन प्रबंधन से जुड़े अधिकारी दोषी हैं।
क्या गोयल इस्तीफा देंगे?
रेल दुर्घटना को लेकर गत माह ही सुरेश प्रभु ने रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दिया है। सवाल उठता है कि क्या अब नए रेल मंत्री पीयूष गोयल इस्तीफा देंगे? यह हादसा भी गोयल के अपने मुंबई शहर में हुआ है। असल में रेल मंत्री कोई भी हो, लेकिन जब तक नीचे की व्यवस्था नहीं सुधरेगी, तब तक ऐसे हादसे होते रहेंगे।
एक ओर हम जापान की मदद से अहमदाबाद-मुंबई के बीच बुलेट ट्रेन चला रहे हैं तो दूसरी ओर स्टेशन पर भगदड़ से 30-30 मौतें हो रही हैं। अच्छा हो कि हम पहले अपनी व्यवस्था को सुधारें। बुलेट ट्रेन तभी सफल होगी, जब सामान्य ट्रेनों में सफर सुरक्षित होगा।