CAA को लेकर राज्यपाल टंडन ने कहा- बहुमत से पास कानून को स्वीकारना राज्यों की बाध्यता

नई दिल्ली. मध्यप्रदेश के राज्यपाल लालली टंडन ने नागरिकता संशोधन कानून को लेकर बड़ा बयान दिया है। राज्यपाल लालली टंडन ने कहा नागरिकता संशोधन कानून संसद में दो तिहाई बहुमत से पास हो गया है तो उसे स्वीकार करना राज्यों की बाध्यता है। उन्होंने आगे कहा है कि विरोध हो लेकिन संविधान की लक्ष्मणरेखा की मर्यादा के भीतर। मर्यादा से हटकर काम होगा तो संविधान ने मुझे भी अधिकार दिए हैं। उन्होंने राम वनगमन पथ, श्रीलंका में सीता माता मंदिर और गांधीजी की पुण्यतिथि पर हनुमान चालीसा पाठ के आयोजन पर उन्होंने कमलनाथ सरकार की तारीफ भी की।

राज्यपाल टंडन ने यह टिप्पणी केरल में राज्यपाल और सरकार के बीच उत्पन्ना विवाद से जुड़े एक सवाल पर की। राजभवन में प्रेस प्रकोष्ठ के शुभारंभ अवसर पर मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कई मुद्दों पर बेबाकी से अपने विचार रखे। यह भी कहा कि राज्य में किस दल की सरकार है, इससे मुझे कोई मतलब नहीं। सरकार ठीक से काम करे इसमें मेरा सहयोग और आशीर्वाद हमेशा रहेगा, लेकिन मर्यादा से हटकर यदि कोई काम होता है तो संविधान ने मुझे कुछ अधिकार और कर्तव्य भी दिए हैं। जहां हस्तक्षेप करना चाहिए वहां मुझे किसी ने नहीं रोका।

उन्होंने कहा कि समाज और परिस्थितियां बदल रही हैं। दुनिया में हमारा देश अपनी धाक जमा रहा है, देश को बुलंदी पर देख हमारा गर्व जागृत होता है। उन्होंने लोहिया के हवाले से कहा कि जब कुव्यवस्था को सुव्यवस्था में बदला जाता है तो अव्यवस्था से गुजरना पड़ता है, मौजूदा समय में ऐसा ही हो रहा है। गांधी और गोडसे के विचार से जुड़े सवाल पर वह बोले कि हमारे लोकतंत्र को गांधीजी से कभी अलग नहीं किया जा सकता। गांधीजी ने हमें गुलामी से मुक्ति दिलाई। उनकी त्याग-तपस्या और बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता। लोग गांधीवाद को भले भूल गए, लेकिन गांधी को नहीं भुला सकते। राज्यपाल की उम्र को लेकर छत्तीसगढ़ की राज्यपाल के बयान पर ध्यान दिलाते ही वह बोले विवाद के विषय पर कुछ नहीं बोलूंगा।

उन्होंने अयोध्या और सभी दलों के छोटे-बड़े नेताओं से जुड़े सियासी संस्मरणों पर पुस्तक लिखने की जानकारी भी दी। राज्यपाल लालजी टंडन बोले कि राज्य सरकार, राम वनगमन पथ और श्रीलंका में सीता माता का मंदिर बनवा रही है। यह सब सनातन परंपरा को आगे बढ़ाने के काम हैं, इसकी प्रशंसा होना चाहिए। उन्होंने बताया कि इस देश में भगवान राम के अस्तित्व का निर्धारण भी अदालत से तय हुआ।

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