सौम्या केसरवानी | Navpravah.Com
अब से इलाहाबाद प्रयागराज के नाम से जाना जाएगा, आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इलाहाबाद का नाम बदलने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
इलाहाबाद का नाम प्रयागराज किए जाने की मांग बहुत समय से संत-महात्मा करते आ रहे हैं, मांग करने वालों का तर्क है कि पहले भी इलाहाबाद का नाम प्रयाग ही था, जिसे मुगल बादशाह अकबर ने बदलकर ‘अल्लाहाबाद’ रख दिया था और कालांतर में इसे इलाहाबाद कहा जाने लगा।
इस संबंध में डिप्टी सीएम केशव मौर्य ने भी ‘इलाहाबाद’ के दौरे पर कहा था कि, ‘इलाहाबाद’ की पहचान यहां तीन नदियों के संगम की वजह से है, इसलिए इसका नाम ‘प्रयागराज’ होना चाहिए।
इस संबंध में उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने भी इलाहाबाद का नाम बदलकर ‘प्रयाग’ करने की सिफारिश की थी, उन्होंने कहा था कि राज्यपाल महोदय ने ‘बॉम्बे’ का नाम ‘मुंबई’ करने में अहम भूमिका निभाई थी।
वहीं एक तरफ इलाहाबाद का नाम बदलने के एलान का विरोध शुरू हो गया है, अलग-अलग संगठनों ने राज्य सरकार के इस कदम की कड़े शब्दों में आलोचना की है, एडवोकेट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की ओर से हुई बैठक में योगी सरकार के फैसले पर आक्रोश जताया गया है।
एडवोकेट्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अजीत भाष्कर ने इलाहाबाद का नाम बदलकर प्रयागराज करने पर गहरा आक्रोश जताते हुए कहा है कि, इलाहाबाद पूरे विश्व में विख्यात है, इसी नाम से शहर की दुनिया भर में पहचान है।
उन्होंने कहा कि प्रयाग क्षेत्र में सिर्फ माघ मेला और कुंभ मेला का आयोजन होता है, ऐसे में पूरे इलाहाबाद का नाम बदलने का औचित्य नहीं बनता है, उन्होंने संवैधानिक नियमों का हवाला दिया कि देश के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह संस्कृति की गौरवशाली परंपरा का महत्व समझे और उसका संरक्षण करें।