न्यायाधीशों का क़दम साहसिक -प्रशांत भूषण

पारुल पाण्डेय । Navpravah.com

सुप्रीम कोर्ट के चार वरिष्ठ जजों द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सुप्रीम कोर्ट की कार्यशैली पर सवाल उठाने से लोग स्तब्ध हैं। वहीं प्रशांत भूषण ने 4 जज द्वारा उठाए गए इस कदम से सहमती जताई है।

इस मामले पर वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने मीडिया से हुई बातचीत में कहा कि मैंने पिछले 35 साल से सुप्रीम कोर्ट की कार्रवाई को नज़दीक से देखा है, ऐसी स्थिति कभी नहीं रही। कभी ऐसा नहीं हुआ कि कोई जज यह तय करे कि कौन सा जज कौन सा केस करेगा। आज सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायधीश यह तय कर रहे हैं कि कौन सा जज, कौन सा केस देखे।

प्रशांत भूषण ने आरोप लगाते हुए कहा कि यह काम सरकार के इशारे पर किया जा रहा है, जिससे कोर्ट की स्वतंत्रता खत्म हो रही है। सीजेआई अहम केसों को खास जजों के यहां लगा कर उन्हें डिसमिस करवा देते हैं। जब इस तरह के कामों पर चार सीनियर जज ऐतराज जता रहें थे, तो उनकी अनदेखी की गई। इसलिए इन चार सीनियर जज को कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा जिसे पूरा देश देख रहा है।

सीजेआई पर सवाल उठाते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि सीजेआई अपनी पावर का दुरुपयोग कर रहे हैं। यह हमारे लोकतंत्र के भविष्य के लिए घातक है। 4 जज द्वारा यह सच्चाई लोगों समक्ष लाना सही फैसला है।  प्रशांत भूषण ने कहा कि सीजेआई को इस्तीफा दे देना चाहिए, क्योंकि ऐसी स्थिति कोई भी सेल्फ रिस्पेक्टिंग जज इस्तीफा दे देगा। अगर नहीं देंगे तो यह आगे बढ़ेगा।

वहीं वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने कहा कि अगर एक आम आदमी के लिए न्याय होता है, तो एक जज के लिए भी न्याय उतना ही होता है। उनके अनुसार सभी जज के चेहरे उनके दर्द हो साफ़ बयां कर रहे थे।

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जज जस्टिस चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मुख्य न्यायधीश पर बड़ा आरोप लगाया। सभी जज के अनुसार देश का लोकतंत्र खतरे में है, सुप्रीम कोर्ट सही तरीके से काम नहीं कर रहा है। हमने इस विषय में मुख्य न्यायधीश (सीजेआई) से भी बात करने की कोशिश की, लेकिन हम नाकामयाब रहे है। 4 जज के अनुसार बीस साल बाद कोई हमें यह न कहे कि हमने आत्मा बेच दी थी। इसलिए हम स्थिती बताने के लिए देश के सामने आए है।

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