शिखा पाण्डेय | Navpravah.com
तमाम राजनीतिक पार्टियों का ऐसा मानना है कि देश भर में धूम मचानेवाली व आधे से अधिक भारत पर विजय पाने वाली राजनीतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी की सफलता के पीछे ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ का हाथ है। इसीलिए शायद तमाम बड़ी पार्टियाँ आरएसएस की टक्कर में अपना संघ स्थापित करने की होड़ में लग गई हैं।
जहाँ एक ओर बिहार के स्वास्थ्य मंत्री और आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने ‘धर्मनिरपेक्ष सेवक संघ’ (डीएसएस) का गठन किया है, वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व ओलंपियन असलम शेर खान ने ‘राष्ट्रीय कांग्रेस स्वयंसेवक संघ'(आरसीएसएस) के गठन की घोषणा की है।
तेज प्रताप यादव ने आरएसएस और योगी आदित्य नाथ के संगठन ‘हिंदू युवावाहिनी’ से मुकाबला करने के लिए नए संगठन की घोषणा करते हुए कहा कि डीएसएस को पहले बिहार में और उसके बाद राष्ट्रीय स्तर पर फैलाया जाएगा। उन्होंने कहा कि डीएसएस में हिंदू, मुस्लिम, सिख, इसाई सभी धर्मो के लोग शामिल होंगे। यह संगठन आरएसएस और योगी आदित्यनाथ के संगठन ‘हिंदू युवा वाहिनी’ का मुकाबला करने को तैयार है।
आरएसएस को खदेड़ देगा डीएसएस-
आरक्षण को अपना जन्मसिद्ध अधिकार बताते हुए तेजप्रताप ने कहा, “हम आरएसएस की मनमानी नहीं चलने देंगे। डीएसएस आरक्षण के मुद्दे पर आरएसएस को खदेड़ देगा।” बता दें कि आरएसएस लंबे समय से आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा किए जाने की मांग कर रहा है, जिसे लेकर विपक्षी नेता संघ और बीजेपी को लंबे समय से अपने निशाने पर रखे हुए हैं।
दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री असलम शेर खान ने घोषणा की है कि मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में वर्ष 2018 में होने वाले विधानसभा चुनावों में भाजपा को टक्कर देने के लिए वे जल्द ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तर्ज पर आरसीएसएस बनायेंगे। असलम ने संवाददाताओं से बताया, ‘‘आरसीएसएस मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में ठीक उसी तरह से कांग्रेस की मदद करेगी, जैसे आरएसएस चुपके-चुपके पिछले दरवाजे से चुनावों में भाजपा की सहायता करती है।’’ उन्होंने कहा कि आरसीएसएस का ढांचा ठीक उसी प्रकार का होगा, जैसे आरएसएस का है, लेकिन आरसीएसएस का कोई परिधान नहीं होगा, जैसा कि आरएसएस स्वयंसेवकों का है।
असलम ने भी धर्मनिरपेक्षता का ही राग अलापते हुए कहा कि आरसीएसएस में उन लोगों को स्वयंसेवकों के रूप में शामिल किया जायेगा, जो किसी राजनीतिक दल से न जुड़े हों और धर्मनिरपेक्ष होने के साथ-साथ कांग्रेस के समान विचार रखने वाले हों। उन्होंने यह भी कहा कि जमीनी स्तर पर कांग्रेस के पास कार्यकर्ताओं की भारी कमी है, जबकि एक राजनीतिक दल के लिए चुनाव जीतने के लिए जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं का होना जरूरी है।’’ उन्होंने यह भी दावा किया कि अगले साल तक आरसीएसएस में एक लाख तक स्वयंसेवक हो जाएंगे और उसकी मदद से कांग्रेस आने वाले दिनों में भाजपा को चुनावों में कड़ी टक्कर देगी।