एनपी न्यूज़ डेस्क| Navpravah.com
करोड़ों का घोटाला कर देश छोड़कर भागने वाले अरबपति नीरव मोदी के खिलाफ दर्ज शिकायत में सीबीआई ने बताया है कि, नीरव ने 2011 में नहीं 2017- 2018 में ही पंजाब नेशनल बैंक से 11,300 करोड़ रूपये की धोखाधड़ी की थी।इस घोटाले को लेकर केंद्रीय मंत्री और सत्ताधारी बीजेपी के प्रवक्ता कह रहे हैं, कि नीरव मोदी ने यह घोटाला कांग्रेस के शासनकाल में 2011 में ही शुरू कर दिया था। वैसे अभी तक सीबीआई ने अपनी जांच 2017- 2018 के बीच हुए बैंक ट्रांजैक्शन तक ही की है।
लेकिन FIR देखकर ऐसा लगता है कि 11,500 करोड रुपये में से लगभग 5000 करोड़ रुपये का घोटाला बीजेपी के शासनकाल में ही हुआ है, लेकिन जांच एजेंसी का कहना है कि मामला कुछ और भी हो सकता है। एजेंसियों ने पीएनबी से और भी सभी दस्तावेज और कागजात मांगे है, जिससे पता चल सके कि घोटाला कब हुआ था।
इस घोटाले को लेकर एफआईआर में मनोज करात और गोकुलनाथ शेट्टी का नाम है। गोकुलनाथ को पांच दिनों पहले आखिरी बार उनके घर पर देखा गया था और तब उसके बाद कोई खबर नही है। सीबीआई ने कल उनके घर पर तीसरी बार छापेमारी की है और उनकी पत्नी व भाई से भी पूछताछ की जा रही है। इस संबंध में नीरव मोदी के मामा मेहुल चौकसी और गीतांजलि ग्रुप के दूसरे डायरेक्टर्स से जुड़े 26 ठिकानों पर अब तक छापेमारी की गयी है। पिछले दो दिन में छापेमारी के दौरान कुल 5649 करोड़ रुपये की 29 अचल संपत्तियां जब्त की गई हैं।
घोटालेबाजों पर शिकंजा कसने के उद्देश्य से मामा-भांजे के बड़े विदेशी शोरुमों में भी खरीद व बिक्री पर रोक लगा दी गई है और इससे जुड़े निर्देश मामा-भांजे की मुंबई स्थित कंपनियों के हेडक्वार्टर्स को भी भेज दिये गये हैं।पंजाब नेशनल बैंक की तरफ से 13 फरवरी को की गई शिकायत के आधार पर एफआईआर में मेहुल चौकसी और उसकी तीन कंपनियों गीतांजलि जेम्स, गिली इंडिया लिमिटेड और नक्षत्र ब्रांड लिमिटेड के डायरेक्टर्स और दो बैंक कर्मचारियों का नाम शामिल हैं, PNB ने कुल 4866.72 करोड़ रुपये को नुकसान का अनुमान जताया है।
सीबीआई सूत्रों के अनुसार, उन्हें यह बात ने चकित किया कि पीएनबी के बस दो कर्मचारियों ने मिलकर 11,300 करोड़ का इतने बड़े घोटाले को अंजाम कैसे दिया होगा, इसलिए बैंक के और भी लोगों से पूछताछ की जा रही है। ताकि पता चल सके कि इस घोटाले में बैंक के और भी लोग शामिल हैं या नहीं।