एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
राष्ट्रीय औषध मूल्य निर्धारण प्राधिकरण (एनपीपीए) ने आज गुरुग्राम स्थित फोर्टिस अस्पताल की कलई खोल दी। अस्पताल द्वारा मनमाने तरीके से पैसे वसूलने का मामला सामने तब आया, जब एक साथ साल की बच्ची का डेंगू की वजह से मृत्य हो गई। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि अस्पताल ने सात वर्षीय बच्ची के इलाज के दौरान काम आई दवाओं व अन्य उपभोज्य सामानों पर 1700 प्रतिशत तक अधिक मार्जिन वसूला।
प्राधिकरण की रिपोर्ट से यह स्पष्ट हो गया कि किस तरह से अस्पताल ने सात वर्षीय मरीज के अभिभावकों को प्रताड़ित किया। नियामक ने कहा है कि फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरूग्राम ने एक ‘थ्रीवे स्टाप कॉक’ के क्रय मूल्य पर 1737 प्रतिशत तक का मार्जिन वसूला। यही नहीं, जिस उपभोज्य सामग्री का क्रय मूल्य जहां 5.77 रुपये था, अस्पताल ने उसके लिए 106 रुपये प्रति इकाई वसूले। उपभोज्य सामग्रियों में सीरिंज, दस्ताने व तौलिया आदि शामिल हैं। यह मामला सात साल की एक बच्ची की डेंगू से हुई मौत से जुड़ा है।
अस्पताल पर मन-मुताबिक़ पैसे ऐंठने का आरोप है। प्राधिकरण ने अस्पताल से बिलों की प्रति उपलब्ध करवाने की बात कही थी, जिसकी वजह से यह पूरा मामला साफ़ हो पाया है। प्राधिकरण ने स्पष्ट किया कि इस अस्पताल ने डोटामिन 200 एमजी की प्रति इकाई 287.50 रुपये में बेची, जबकि इसकी क्रय मूल्य केवल 28.35 रुपये है। यानी अस्पताल ने इस दवा पर 914 प्रतिशत मार्जिन वसूला।
गौरतलब है कि सितंबर में गुरूग्राम के फोर्टिस अस्पताल ने दिल्ली के द्वारका में रहने वाले जयंत सिंह की 7 वर्षीय बेटी की अस्पताल में दो हफ्ते के इलाज के बाद मौत हो जाने पर 16 लाख का बिल थमा दिया था। मामले की शिकायत के बाद फोर्टिस अस्पताल जांच के घेरे में आ गया।