एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
निपाह वारयस से हो रही मौतों के बाद केरल की स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि डरने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि यह वायरस संक्रमित व्यक्ति के सीधे संपर्क में आने से फैलता है।
केरल की स्वास्थ्य मंत्री के के शैलजा ने बताया कि उन लोगों की सूची बनाई गई है जो उन मरीजों के संपर्क में आए थे, एहतियाती उपाय के तौर पर उन्हें अलग कर दिया गया है।
निपाह वायरस का संक्रमण मरीज के संपर्क में आने से तेजी से फैलता है, इसलिए कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल के डॉक्टरों ने संक्रमित मरीज के परिजनों को अस्पताल आने से मना कर दिया है।
मरीजों को विशेष वार्ड में रखा गया है जहां अस्पाताल के कर्मचारियों को भी बिना विशेष एहतियात बरते आने की मनाही है, संक्रमण से दम तोड़ने वाली नर्स लिनी की मां और उनके परिजनों को भी शव के पास जाने नहीं दिया गया, नर्स का अंतिम संस्कार भी स्वास्थ्यकर्मियों ने किया है।
कोझिकोड जिले के चंगारोठ में वायरस संक्रमण से मौत के बाद कम से कम 30 परिवार घर छोड़कर चले गए हैं, दो गांव भी खाली हो चुका है, यहां करीब 150 लोग खुद गांव से बाहर चले गए हैं।
स्वास्थ कर्मचारी वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए चमगादड़ों को पकड़कर मारने में जुटे हैं। लोगों से अपील की गई है कि वे कम से दो सप्ताह तक उन इलाकों में अपने रिश्तेदारों के पास नहीं जाएं जहां संक्रमण फैला है।
फिलहाल निपाह वायरस से संक्रमण का कोई इलाज नहीं है। एक बार संक्रमण फैल जाने पर मरीज 24 से 48 घंटे तक में कोमा जा सकता है और मौत तक संभव है।
1998 में मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह गांव के लोग पहली बार इस संक्रमण से पीड़ित हुए थे। इसलिए इसका नाम निपाह वायरस पड़ा, संक्रमित होने वाले ग्रामीण सुअर पालते थे।
मलेशिया में शोध कर रहे डॉ़ बिंग चुआ ने पहली बार 1998 में इस बीमारी का पता लगाया। बांग्लादेश में भी निपाह वायरस से संक्रमण के मामले सामने आए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चेतावनी दी है कि भारत और ऑस्ट्रेलिया में निपाह वायरस के फैलने का सबसे अधिक खतरा है। केरल में मामले सामने आने के बाद देश में खतरे की घंटी बज चुकी है, यह बीमारी लाइलाज है।
फल और सब्जी खाने वाले चमगादड़ और सुअर के जरिये निपाह वायरस तेजी से फैलता है। इसका संक्रमण जानवरों और इंसानों में एक दूसरे के बीच तेजी से फैलता है।