सिरीज़ 1-
ब्यूरो | Navpravah.com
राजनीति में एक कहावत है कि “न कोई बेवफा होता है न कोई बावफ़ा होता है ये सियासत का खेल है यहाँ केवल नफा होता है।” अगर बात मीरा भायंदर महानगरपालिका चुनाव की करें तो ये कहावत सच होती नजर आ रही है। मीरा भायंदर के वर्तमान विधायक नरेंद्र मेहता और भूतपूर्व आयुक्त शिवमूर्ति नाइक के कभी दोस्ती के किस्से गाये जाते थे और वही आज दोनों एक दूसरे के खिलाफ नजर आ रहे हैं। कहा जाता है कि शिवमूर्ति का राजनीति में पदार्पण नरेंद्र मेहता ने ही करवाया था और उन्हें बीजेपी में लेकर आये थे। शिवमूर्ति नाइक एक महत्वाकांक्षी व्यक्ति है और शायद मेहता उनकी महत्वाकांक्षा पूरी नहीं कर पाए और इसी से नाराज होकर नाइक ने अपने मीरा भाईन्दर संघर्ष मोर्चा का गठन किया है।
नाइक बीजेपी से नाराज लोगो को “महाराज” बनाने का दावा कर रहे हैं और इस कड़ी में बीजेपी से नाराज कई नेता उनके साथ जुड़ भी चुके हैं। जब हमने शिवमूर्ति नाइक से इस विषय में पूछा, तो उन्होंने इस बात की पुष्टि की। मीरा भाईन्दर संघर्ष मोर्चा के सचिव और तेजतर्रार नेता मिलन म्हात्रे से जब हमने बात की तो उन्होंने कहा कि “हम मीरा-भायंदर में भाजपा के भ्रष्टाचार और कुशासन के खिलाफ एकत्रित हुए हैं और आने वाले वक़्त में हमसे और भी लोग जुड़ेंगे। मीरा भाईन्दर संघर्ष मोर्चा सभी ९५ सीटों पर उमीदवार उतारने का दावा कर रही है।
लेकिन कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इस मोर्चा मोर्चे को शक की निगाहो से देख रहे है। मीरा-भाईन्दर के एक भूतपूर्व नगरसेवक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ये मोर्चा बीजेपी से बगावत करने वालो लोगो के लिए एक लॉलीपॉप है। उनके अनुसार नरेंद्र मेहता एक मझे हुए राजनीतिज्ञ है और वो जानते है की बीजेपी में इस समय एक अनार सौ बीमार की स्थिति है, और जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा, वो लोग पार्टी से बगावत करेंगे। इसीलिए मेहता ने नाइक के माध्यम से डमी मोर्चा का गठन किया है, ताकी नाराज लोग मोर्चे में जाए और अगर जीतकर आते हैं तो सत्ता में आने के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सके।
जब इस बारे में हमने राजनीतिक जानकार और मीरा-भायन्दर की राजनीति की समझ रखने वाले प्रोफेसर दुर्गेश कुमार से पूछा तो उन्होंने बताया कि इस वक़्त मीरा भायंदर की राजनीति नरेंद्र मेहता के इर्द गिर्द घूमती है और पिछले १० सालों में नरेंद्र मेहता में अपनी सियासी समझ और सूझबूझ के दम पर ये मुकाम हासिल किया है, तो इस बात की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये मोर्चा मेहता की रणनीति का ही एक हिस्सा हो। और नरेंद्र मेहता को कम आंकना एक सियासी भूल हो सकता है।
कुल मिलाकर ये मोर्चा मीरा भाइंदर की राजनीति में एक नयी क्रांति की बात करता है और बीजेपी से नाराज लोगों को महाराज बनाने का दावा करता है। लेकिन अगर ये मोर्चा नरेंद्र मेहता की सियासी चाल हुई तो ये बीजेपी से आये लोगो के साथ-साथ जनता के साथ भी विश्वासघात होगा।