अभिषेक सिंह । Navpravah.com
सुलतानपुर।। नई चुनौतियां, नई कैबिनेट, नए सपनें, नए जोश और नए भारत की संकल्पना का क्या होगा, ये तो कल की बातें हैं। पर इस जनादेश में जीतने वाले वे लोग जिनका अपना अलग स्टारडम है, दिल्ली और मुम्बई जैसे महानगरों में शाही आवास हैं। उद्योगपति हैं। फिल्मी दुनिया के हैं। परन्तु छोटे जिलों के लोगों ने उन्हें संसद के गलियारे में पहुंचाया है। ऐसे जिलेवासियों की क्षेत्रीय समस्याएं संसद में गूंज सकेंगी जो आजतक नही गूंजी हैं ये मोदी सरकार के लिए चैलेंजिंग है।
ये स्टारडम वाले लोगों ने बड़े वायदे तो किये हैं पर जनता की चाहतें पूरा कर पाने का कोई रोडमैप है इनके पास यह कह पाना मुश्किल है। जनता अपने जनप्रतिनिधि से जुड़े रहना चाहती है। उन्हें सीधे अपनी समस्याएं बतलाना चाहती है। उनसे बात करना चाहती है। जनता प्रतिनिधि को सुख की घड़ियों में अपने दरवाजे पर देखना चाहती है और दुख के क्षण में साथ खड़े देखना चाहती हैं। मोदी रिटर्न के इस दौर में जनता की ये चाहतें पूरी हो सकेंगी या लोग ठगा सा ही महसूस करेंगे यह बता पाना बहुत मुश्किल है। उत्तर प्रदेश का ऐसा ही एक शहर है सुलतानपुर। जहां ये चाहतें अधूरी ही रह जाती हैं। इस बार जनता ने पूर्व मंत्री मेनका गांधी को प्रतिनिधि चुना है।
इससे पहले उनके बेटे वरुण गांधी को संसद चुना था और उसके पहले उनके पति संजय गांधी के करीबी माने जाने वाले पूर्व मंत्री संजय सिंह को जनता ने संसद में भेजा था। बात संजय सिंह की हो या वरुण गांधी की हो, दोनों ने ही जनता की इन चाहतों पर पानी फेरा है। दोनों ही प्रतिनिधि की खाश लोगों की टोली थी जो अपने लाभ के हिसाब से सांसद जी से काम लेते रहते थे। और आम वोटरों की पकड़ से बहुत दूर थे। यहां तक कि इनलोगों तक पार्टी कार्यकर्ताओं की भी पहुंच नही हो पाती थी।
संजय सिंह के चुनाव जीतने के बाद उनकी पत्नी अमिता सिंह ने और इस बार खुद संजय सिंह चुनाव में अपनी जमानत जब्त करवा चुके हैं। वरुण गांधी ने जनता से बनी दूरी का आंकलन कर लिया और यहां से चुनाव न लड़ने के उनके फैसले के बाद मां मेनका गांधी ने चुनाव लड़ा। और कांटे की टक्कर में जीत हासिल की है। मोदी रिटर्न की इस बेला में देखना है कि मेनका गांधी जनता की चाहतों को पूरा कर पाती हैं या चंद लोगों से घिर कर वही पुरानी रीत को दोहराती हैं।