अनुज हनुमत,
एक तरफ पूरे देश में इस समय नोटों को लेकर बवाल मचा है और दूसरी ओर भाजपा के कुछ नेता अपनी ही पार्टी के विरोध में सामने आ गए हैं। बैंकों में आम जनता की सहूलियत के लिए काउंटर की संख्या बढ़ाने की मांग करते हुए भारतीय जनता पार्टी की एक वरिष्ठ नेत्री ने रविवार को अपनी ही पार्टी के खिलाफ जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि बिना तैयारी के ही सरकार ने यह घोषणा कर दी है और सरकार के इस फैसले ने आवाम को भिखारी बना दिया है।
आपको बता दें कि केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा की पूर्व उपाध्यक्ष लक्ष्मीकांता चावला ने बयान जारी कर कहा, देश में काले धन के प्रवाह को बंद करने के लिए केंद्र सरकार ने एक हजार और पांच सौ रूपये के नोटों को रद्द कर एक अच्छा काम किया है, लेकिन देश की मौजूदा हालात देख कर ऐसा लगता है कि सरकार अभी इस निर्णय के लिए पूरी तरह तैयार नहीं थी। चावला ने कहा, “मुझे लगता है कि सरकार को पहले बैंकों में पर्याप्त नोटो की आपूर्ति करानी चाहिए थी और उसके बाद मौजूदा नोटों का प्रचलन समाप्त किया जाता।”
अपनी ही पार्टी पर कड़ा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि जिन लोगों का पैसा बैंकों में जमा है, उन्हें उनके आवश्यकता अनुसार धन मिलने की व्यवस्था बैंकों में होनी चाहिए थी। एक दिन में चार हजार के निर्णय ने आवाम को भिखारी बना दिया है, क्योंकि उन्हें रोज कतार में खड़ा होना पड़ता है। बैंकों में और अधिक संख्या में काउंटर होने चाहिए। पर्याप्त संख्या में नोट, खास कर छोटे नोट होने चाहिए ताकि कठिनाईयों का सामना नहीं करना पड़े । इसके अलावा प्रति दिन दी जाने वाली राशि भी कम से कम दस हजार होनी चाहिए।
सरकार ने लोगों को अपने पुराने नोट बदलवाने के लिए 31 दिसंबर तक का समय दिया है। अब बैंकों और एटीएम के बाहर लोगों की लंबी कतारें देखने को मिल रही हैं। इससे लोगों को काफी असुविधा भी हो रही है।
विपक्षी दल भी सरकार की तैयारी को लेकर पीएम मोदी पर निशाना साध रहे हैं। लेकिन पीएम मोदी ने जनता से 31 दिसम्बर तक का समय मांगा है। बहरहाल हर बड़े निर्णय में थोड़ी बहुत समस्याएं तो होती हैं लेकिन पीएम मोदी के इस निर्णय ने सियासी महकमों में हलचल मचा रखी है ।