ब्यूरो,
हिमाचल प्रदेश सरकार और जनसामान्य बंदरों के आतंक से परेशान हो गई है। इसलिए हिमाचल सरकार ने बंदरों को मारने के लिए ईनाम की घोषणा कर दी है। शिमला शहर और प्रदेश की 38 तहसीलों में वानरों को पीड़क जंतु घोषित किया गया है और एक बंदर को मारने के लिए 300 रुपये का पुरस्कार रखा गया है।
वन मंत्री ठाकुर सिंह भरमौरी ने बताया कि वनों के बाहर वानरों की जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए ही यह निर्णय लिया गया है। हाल ही में प्रदेश की 38 तहसीलों और शिमला शहर में वानरों को पीड़क जंतु घोषित किया गया था।
शिमला शहर के अलावा इनमें कांगड़ा जिले की सात, ऊना, सिरमौर की पांच-पांच, सोलन, सिरमौर, चंबा की चार-चार, शिमला, कुल्लू की तीन-तीन, मंडी की एक और हमीरपुर की दो तहसीलों में बंदरों से संबंधित यह नियम लागू किया गया है। संबंधित वन मंडलाधिकारी, एसीएफ और वन परिक्षेत्राधिकारी की कमेटियां गठित की गई हैं, जो ऐसे दावों का सत्यापन करेंगी।
हालाँकि सरकार ने भले ही यह निर्णय आम जनता की सुरक्षा के लिए लिया हो, लेकिन सोशल साइट्स पर हिमाचल सरकार की इस कृत्य का विरोध होना शुरू हो गया है। गौरतलब है कि हिंदुओं में वानर रूप की पूजा भी होती है, इसलिए कइयों का कहना है कि सिर्फ जान से मार देना किसी समस्या का हल नहीं है। सरकार को बाकी के उपायों पर भी सोचना चाहिए।