hotstar के कंटेंट को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट सख़्त, केंद्र सरकार को दिया जांच का आदेश

ब्यूरो,

hotstar.com, जो स्‍टार इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की सहायक कंपनी द्वारा चलाई जाने वाली वेबसाइट है, उस पर सॉफ्ट पॉर्नोग्राफी समेत आपत्तिजनक कंटेंट डाउनलोड के लिए मुहैया कराने का बेहद संगीन आरोप हैं। दिल्‍ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह hotstar.com पर लगे आरोपों की जांच करे।

जस्टिस संजीव सचदेवा ने स्‍टार इंडिया और इसकी सहायक, नोवी डिजिटल एंटरटेनमेंट प्राइवेट लिमिटेड को नोटिस जारी करते हुए एक याचिका पर जवाब मांगा है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि वे अपलिंकिंग और डाउनलिंकिंग गाइडलाइंस का पालन किए बिना गैरकानूनी इंटरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन (IPTV) चलाते हैं।

कोर्ट ने यह निर्देश अन-कैन्‍ड मीडिया प्रा. लि. की याचिका पर दिए हैं। याचिका में दावा किया गया है कि वेबसाइट चलाने वाली कंपनी की जांच मंत्रालय नहीं करते, वेबसाइट पर पड़ा कंटेंट अनसेंसर्ड है और मंत्रालय इसे नियंत्रित नहीं करता। याचिका में दावा किया गया है कि कंपनियों के द्वारा आपत्तिजनक कंटेंट डाउनलोड के लिए मुहैया कराया जाता था। अदालत ने अपने आदेश में कहा है, ”कुछ वाकये ऐसे भी बताए गए हैं, जहां फर्म और इसकी वेबसाइट hotstar.com पर साॅफ्ट पॉर्नोग्राफी तक डाउनलाेड करने की इजाजत दी गई।”

आपको बता दें कि इस वेबसाइट और ऐप पर क्रिकेट, टीवी कार्यक्रम, वीडियो, फिल्‍में तथा अन्‍य मनोरंजक सामग्रियां प्रस्‍तुत की जाती हैं। इन दोनों कंपनियों के अलावा, अदालत ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय तथा संचार एवं सूचना प्रोद्योगिकी मंत्रालय से इस आरोप पर जवाब मांगा है कि उन्‍होंने IPTV प्‍लेटफॉर्म वेबसाइट hotstar.com पर मौजूद कंटेंट की जांच नहीं की।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अगस्‍त 2015 में देश में पोर्न वेबसाइटों पर बैन लगाया था, जिसके विरोध में सोशल मीडिया व सिविल सोसाइटी के कुछ सदस्‍यों ने आवाज उठाई थी। सरकार के यह फैसला करने से पहले सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि देश में पॉर्न पूरी तरह से बैन नहीं किया जा सकता, क्योंकि कानूनी रूप से किसी को अपने घर के अंदर पॉर्न देखने से नहीं रोका जा सकता है।

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