एनपी न्यूज़ नेटवर्क । Navpravah.com
अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के 15वें राष्ट्रीय अधिवेशन में प्रसाद ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा नेशनल ज्यूडिशियल अपाइंटमेंट कमीशन के गठन को असंवैधानिक बताने पर ऐतराज जताते हुए कहा कि सरकार जजों की नियुक्ति के लिए अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के पक्ष में हैं।
उन्होंने कहा कि, सरकार न्यायपालिका में एससी-एसटी जजों को आरक्षण देना चाहती है, उन्होंने कहा कि वह इस बात की हिमायत करते हैं कि भविष्य की न्यायिक व्यवस्था में उच्च कोटि के न्यायमूर्तियों की ही नियुक्ति हो।
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि, एनजेएसी पर हमने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को माना लेकिन इस पर हमारा मतभेद है, 50 फीसदी से ज्यादा राज्यों की मंजूरी के साथ हमने एनजेएसी एक्ट को संसद में पारित किया, बता दें कि सरकार ने जजों की नियुक्ति व तबादलों के लिए एनजेएसी एक्ट बनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया था।
उनका कहना है कि, जब सबरीमाला मामले की सुनवाई 6 महीने में और अर्बन नक्सल का केस दो महीने में पूरा हो सकता है तो रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस 70 साल से क्यों अटका पड़ा है, उन्होंने इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह करने की अपील की है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि, राम लला मामले में कोर्ट में सुनवाई क्यों नहीं हो रही इसका मेरे पास कोई उत्तर नहीं है, उन्होंने व्यक्तिगत तौर पर सुप्रीम कोर्ट से अपील की कि इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह हो ताकि जल्द से जल्द इसपर फैसला आ सके।
उन्होंने आगे कहा कि, मैं कानून मंत्री होने के नाते नहीं बल्कि भारत के एक आम नागरिक के रूप में अपील करता हूं कि इस मामले की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट की तरह की जाए, इस मामले में इतने सबूत हैं कि इसपर अच्छी बहस हो सके।