हेल्थ डेस्क. भारतीयों के किचन की शोभा यानि हल्दी की ताकत को अब विदशियों ने भी स्वीकार कर लिया है। दर्द में हल्दी पैरासिटामल और आईबूप्रोफेन से ज्यादा लाभदायक होती है। इन दवाओं के दुष्प्रभाव हैं, लेकिन हल्दी का कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है। यह हल्दी पर शोध करने वाले विदेशी वैज्ञानिकों का कहना है।
मिलान स्थित एक प्रमुख दवा निर्माता कंपनी के शोध में पता चला है कि खेल के दौरान लगने वाली चोट या मोच के दर्द में हल्दी दर्द निवारक दवाओं जितनी ही कारगर है। खास बात यह है कि इसका कोई दुष्प्रभाव भी नहीं है। शोध के दौरान रग्बी के चोटिल खिलाड़ियों को हल्दी दी गई, जिससे उन्हें पैरासिटामोल या आईबूप्रोफेन जितनी राहत मिली। शोध के दौरान देखा गया जिन लोगों ने राहत पाने के लिए पारंपरिक दर्द निवारक दवाओं का सेवन किया उन्हें गैस्ट्रो संबंधी समस्याओं से भी जूझना पड़ा।
प्रमुख शोधकर्ता डॉक्टर फ्रांसेस्को डी पेरो ने कहा कि इस शोध से पता चलता है कि हल्दी में पाए जाने वाले तत्व करक्यूमिन से तैयार उत्पाद हड्डी और मांसपेशियों से संबंधित दर्द में सुरक्षित दर्द निवारक हो सकते हैं। पूर्व में हुए शोध में करक्यूमिन का सकारात्मक प्रभाव गठिया के मरीजों में देखा जा चुका है। इसके अलावा यह कैंसर और हृदय संबंधी बीमारियों में भी अधिक कारगर है। शोधकर्ता 50 रग्बी खिलाड़ियों के अनुभवों के आधार पर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं। इन्हें हड्डियों और मांसपेशियों में तकलीफ थी। इन्हें एक ग्राम करक्यूमिन तत्व वाली एल्गोकर टैबलेट 10 दिनों तक दिन में दो बार दी गई। प्रत्येक 20 दिनों में इनकी स्थिति का परीक्षण किया गया।