इंद्रकुमार विश्वकर्मा ,
हिंदी भाषी क्षेत्रों के उन विद्यार्थियों के लिए एक अच्छी खबर है, जो अंग्रेजी भाषा में कमजोर होने की वजह से इंजीनियिरंग की पढ़ाई नहीं कर पा रहे थे। अब राष्ट्रभाषा हिंदी में भी यह पाठ्यक्रम विद्यार्थियों को पढ़ाया जायेगा। यह सुनहरा अवसर उपलब्ध करवा रहा है, भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय। वर्तमान सत्र से से ही प्रवेश प्रक्रिया का काम शुरू हो रहा है। संभवत: देश में पहली बार ऐसा होने जा रहा है, जब इंजीनियरिंग की पढाई विद्यार्थी हिंदी में भी कर सकेंगे। आम तौर पर मेडिकल और इंजिनीरिंग की पढाई वर्षों से अंग्रेजी में ही हो रही है।
गौरतलब है कि चीन, रूस, जापान, इस्राइल, कोरिया, जर्मनी सहित कई देश इस समय अंग्रेजी के अलावा अपनी क्षेत्रीय भाषा में भी इंजीनियरिंग और मेडिकल की पढ़ाई करवाते हैं। इस दिशा में बहुत ही महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए विश्वविद्यालय ने फिलहाल मैकेनिकल, सिविल, और इलेक्ट्रिकल शाखा में इंजीनियरिंग की डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू किए हैं। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मोहनलाल छीपा ने बताया कि वर्तमान शिक्षा सत्र से ही हिंदी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम पूरी तैयारी के साथ शुरू कर दिया गया है। मेकैनिकल, सिविल और इलेक्ट्रिकल शाखाओं में डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रमों के लिये प्रवेश प्रक्रिया जारी है। उन्होंने जानकारी दी कि प्रवेश प्रक्रिया पूरी होने के बाद हम हिन्दी माध्यम में क्लास शुरू कर देंगे।
कुलपति ने कहा कि महत्वपूर्ण यह है कि लगभग 250 साल से इंजीनियरिंग और मेडिकल शिक्षा पर अंग्रेजी माध्यम का कब्जा रहा है और इसमें अब हिन्दी माध्यम का विकल्प उपलब्ध कराने का यह प्रयास किया जा रहा है। विश्वविद्यालय फिलहाल भोपाल के मिन्टो हाल-पुराने विधानसभा भवन में कार्य कर रहा है। करीब 50 एकड़ क्षेत्र में इसका अपना परिसर निर्माणाधीन है। मध्यप्रदेश सरकार ने 19 जून 2011 में इसकी स्थापना करवाई थी। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं आने दी जायेगी।
पाठ्यक्रम के लिए हिंदी माध्यम से पढाई करने के लिए अब तक प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की संख्या के सवाल पर उन्होंने कहा कि 31 अगस्त तक प्रवेश प्रक्रिया पूरी हो जाएगी जिसके बाद हम चालू सत्र में हिन्दी माध्यम से पढ़ाई शुरू कर देंगे फिर चाहे इसमें केवल एक ही छात्र आएगा तब भी पढ़ाई अवश्य होगी।
कुलपति ने कहा, हम इस धारणा को बदलना चाहते हैं कि प्रगति केवल अंग्रेजी से ही हो सकती है। कुछ मुल्कों को छोड़ दिया जाए तो रूस, इस्राइल, चीन, जापान, कोरिया, और जर्मनी सहित दुनिया के अन्य देशों में इन पाठ्यक्रमों की शिक्षा इन देशों की अपनी में दी जाती है और ये सभी देश तरक्की कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि अभियांत्रिकी की तीन शाखाओं मैकेनिकल, सिविल और इलेक्ट्रिकल में बीई डिग्री और डिप्लोमा पाठ्यक्रम में प्रत्येक में 30-30 स्थान हैं। इस प्रकार तीन शाखाओं में कुल 180 विद्यार्थियों को हिंदी में इंजीनियरिंग पाठ्यक्रम पढ़ाया जा सकेगा। इसके लिए गणित, भौतिकी और रसायन शास्त्र सहित पांच संकायों की व्यवस्था की गई है।