कोमल झा| Navpravah.com
विदेश में बैठे भगौड़ों के प्रत्यर्पण के लिए केंद्र सरकार की ओर से छेड़ी गई मुहिम का असर दिखने लगा है। इस मुहिम से अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम की भी जमीन हिलती महसूस हो रही है।
इसी वजह से दाऊद ने 1997 में हुई गुलशन कुमार की हत्या में वांछित संगीतकार नदीम सैफी को कानून के घेरे में आने से बचाने के लिए कोशिशें शुरू कर दी हैं। दाऊद किसी तरह से अपने खास लोगों को मदद पहुंचाता है, इसको लेकर दाऊद का एक टेप सामने आया है।
एक टी.वी. चैनल द्वारा जारी की गई ऑडियो टेप में दाऊद को फोन पर भारत सरकार की मुहिम और नदीम के बारे में चिंता जताते सुना जा सकता है। 90 के दशक में बॉलीवुड की एक हिट संगीतकार जोड़ी के सदस्य रह चुके नदीम सैफी काफी लंबे वक्त से ब्रिटेन में रह रहे हैं।
बताया जा रहा है कि ये बातचीत 2015 से ही रिकॉर्ड की जा रही है। इन टेप्स में दाऊद को चिंता जताते हुए साफ सुना जा सकता है। बातचीत के मुताबिक दाऊद फोन पर अपने एक गुर्गे से जिस शख्स बारे चिंता जता रहा है वो और कोई नहीं नदीम सैफी ही है। बातचीत का टेप खुलासा करता है कि कैसे दाऊद का एक गुर्गा उसे वांछित संगीतकार को लेकर संभावित कानूनी खतरे के बारे में आगाह कर रहा है। वो बता रहा है कि मोदी सरकार के ताजा शुरू किए गए प्रयासों के क्या परिणाम हो सकते हैं।
बातचीत में अंडरवर्ल्ड के खास कोडवर्ड्स का इस्तेमाल होते सुना जा सकता है। जैसे कि नदीम सैफी का हवाला देने के लिए ‘लंदन फ्रैंड’ और ‘उस्ताद’ जैसे संबोधन। हालांकि इस कोडवर्ड वाली भाषा को डिकोड करने वाले खुफिया अधिकारियों ने, बातचीत के दौरान जिस शख्स के लिए ‘लंदन उस्ताद’ कहा जा रहा है, उसकी पहचान नदीम सैफी के तौर पर ही की है।
दुबई स्थिति दाऊद का एक गुर्गा ब्रिटेन में नदीम सैफी की संभावित गिरफ्तारी की स्थिति में उसे अंडरग्राउंड करने के प्लान के बारे में बता रहा है।
गुर्गा- ‘सर, वो लंदन वाला दोस्त खतरे में आ गया है। इधर, प्रीपरेशन दे दी है ( तैयारी का आदेश), दो दिन में उठाएंगे उसको।’
दाऊद- ‘किसको?’
गुर्गा- ‘वो बड़ा उस्ताद. मैंने सोचा ये खबर आपके सुनने की है. क्योंकि हालात खराब हो सकते हैं इसलिए ‘प्रीपरेशन’ दी है…दो, तीन दिन। उसे सुरक्षा टाइट करने के लिए कहा गया है।’
दाऊद- ‘अच्छा, अच्छा…वो अपने चश्मे वाले आदमी की बात कर रहे हो?’
गुर्गा- जी, जी…’वो कराची वाला चना मुर्श’
जल्दी ही दाऊद प्लान को हरी झंडी दे देता है। साथ ही अपने आदमियों को उसी हिसाब से चलने की बात भी करता है।
दाऊद- ‘ठीक है, ठीक है…मैं बोलता हूं।’
नदीम सैफी इस मामले में मुंबई पुलिस की ओर से एकत्र किए गए सबूतों को भी खारिज करता रहा है। अभी तक नदीम सैफी के जितने भी प्रत्यर्पण के प्रयास हुए हैं, उनसे बचने में नदीम सफल रहा है। 1993 को मुंबई में सीरियल ब्लास्ट में करीब 257 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 700 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इन धमाकों का मास्टममाइंड दाऊद इब्राहिम था।