अनुज हनुमत | Navpravah.com
चित्रकूट | धर्मनगरी चित्रकूट ने डकैतों के आतंक और खौफ के नंगे नाच को दशकों तक मूकदर्शक बनकर देखा। न जाने कितने लोगों ने इस आतंक के भय से अपनी माटी तक छोड़ दी। पुलिस ने हमेशा ही समय-समय पर डकैतों के हौसले पस्त किये, लेकिन इस समस्या का जड़ से खात्मा आज तक सिर्फ इसलिए नहीं हुआ, क्योंकि दादूलैंड से लेकर ददुआलैंड तक के सफर में इस क्षेत्र के सियासी चेहरों का बड़ा सहयोग रहा। फिलहाल पिछले सात महीने से चित्रकूट पुलिस की कार्यशैली यह बताने के लिए पर्याप्त है कि इस लंबी समयसीमा के दौरान यूपी पुलिस के जवानों ने कितनी जबरदस्त मेहनत की है!
जी हाँ, उधर उत्तर प्रदेश की सत्ता संभालते ही योगी सरकार ने आदेश जारी किया था कि अब अपराधी और डकैत दोनों ही किसी सूरत में नही बचेंगे। इधर चित्रकूट पुलिस ने पुलिस अधीक्षक प्रताप गोपेन्द्र के नेतृत्व में पिछले सात महीनों में अपराधिओं और डकैतों की कमर तोड़ कर रख दी है। आलम यह कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में चित्रकूट दौरे के दौरान डकैत उन्मूलन के लिए चलाये जा रहे अभियान हेतु एसपी प्रताप गोपेन्द्र की पीठ थपथपाई थी। लेकिन कुछेक नेताओं और दलालों को चित्रकूट पुलिस की, अर्थात पुलिस अधीक्षक प्रताप गोपेन्द्र की कार्यशैली पच नहीं पा रही है, इसलिए इनके स्थान्तरण हेतु कई नेताओं ने मोर्चाबंदी तेज कर दी है।
बहरहाल पिछले सात महीनों में चित्रकूट पुलिस द्वारा की गई कार्यवाही के आंकड़ो पर नजर डालें तो स्पष्ट होता है कि कम दिनों में कैसे धर्मनगरी चित्रकूट से पुलिस के जांबाजों ने डकैतो के खौफ और आतंक का खात्मा किया। पिछले सात माह में चित्रकूट पुलिस की डकैतों से 11 मुठभेड़ हुई, जिसमें 21 डकैत सहित उनके समर्थक सलाखों के पीछे भेजे गए। अब तक दस्यु गिरोहों के खिलाफ हुई कार्यवाही में 19 असलहे और 65 कारतूस बरामद की गई। चार डकैत घायल अवस्था मे पकड़े गए एवं एक डकैत को पुलिस ने मुठभेड़ के दौरान मार गिराया। ये तमाम आंकडे शब्दो या अंकों की बाजीगरी नहीं, बल्कि मौजूदा समय मे चित्रकूट की हकीकत है।
गौरतलब है कि जब पुलिस अधीक्षक प्रताप गोपेन्द्र का आगमन एक नए कप्तान के रूप में जिले में हुआ, तब दस्यु ललित पटेल, दस्यु गोप्पा और दस्यु बबुली कोल ने ताबड़तोड़ एक के बाद घटनायें अंजाम देकर जिले में दहशत पैदा कर रखी थी। मगर पिछले सात महीने में चित्रकूट पुलिस ने एसपी प्रताप गोपेन्द्र के नेतृत्व में जिस प्रकार कड़ी मेहनत और संघर्ष किया, उसी का परिणाम है कि आज डकैत द्वारा किसी भी प्रकार की कोई घटना अंजाम नही दी गई है। काम्बिंग के दौरान घने घने जंगलो में मीलों चलकर, कई घण्टे लगातार बिना खाना पीना खाये सिर्फ डकैतों की तलाश में लगे रहने वाली चित्रकूट पुलिस की मेहनत का ही परिणाम है कि इन गैंगों को इस अवस्था में पहुंचा दिया कि पिछले चार महीनों से कुछ भी सुनने में नही आया। ऐसे जाबांज़ एसपी प्रताप गोपेन्द्र और उनकी टीम पर बेतुका और निराधार आरोप लगाकर कुछेक नेता क्या साबित करना चाहते हैं? ऐसे नेताओं के प्रति अगर जनता का भरोसा होता, तो क्या वो निकाय चुनाव हारते?
जिला पुलिस के कार्य की प्रशंसा खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक कार्यक्रम के दौरान की । दिनांक 02.02.2017 को हिंदुस्तान टाइम्स द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में इंटरव्यू के दौरान उन्होंने चित्रकूट में डकैतों की समस्या से निजात को अपनी प्रमुख प्राथमिकता में से एक माना और कहा कि चित्रकूट पुलिस का कार्य काबिलेतारीफ है ।
इस पूरी कार्यवाही के दौरान एक सबसे बड़ा प्रश्न यह भी उठता है कि जीवनभर डकैतों का सहयोग करने वाले आज आखिर बौखलाये हुए क्यों हैं ? और पुलिस से चाहते क्या हैं ?
अवैध खनन पर सर्वाधिक कार्यवाही-
पुलिस अधीक्षक प्रताप गोपेन्द्र के जनपद आगमन से लेकर आज तक खनन अधिनियम के अंतर्गत अकेले जिला पुलिस ने कुल 77 मुकदमें लिखें हैं। कार्यवाही के दौरान कुल 173 लोग नामजद हुए, 63 गिरफ्तार एवं 12 अदालत में हाजिर हुए। अवैध खनन रोकने के लिए की गई कार्यवाही में अब तक कुल 15 ट्रक ,67 ट्रेक्टर, 06 डम्फर, 01 मैजिक व 01 डीसीएम सीज की गई। जानकारी के लिए आपको बता दें कि अवैध खनन के खिलाफ की गई चित्रकूट पुलिस की ये कार्यवाही पूरे मंडल में सर्वाधिक है। फिलहाल ये तमाम कार्यवाहियां सबूत है कि पुलिस अवैध खनन रोकने में ख़फ़ी हद तक सफल हुई है। वैसे पुलिस पर झूठा आरोप लगाने वालों के पास क्या सबूत हैं? फिलहाल ऐसे तमाम लोगों को पुलिस विभाग ने कहा कि है कि वह कार्यालय आकर आंकड़े प्राप्त कर सकते हैं।
इस सात महीने की समयावधि में हत्या के 06, लूट सहित बलात्कार के तमाम सनसनीखेज मामलों का चित्रकूट पुलिस द्वारा त्वरित एवं निष्पक्ष खुलासा किया गया। चाहे वह 6 माह से लंबित शिवदेवी की बालात्कार के बाद हत्या का मामला हो या रैपुरा में 9 साल के बच्चे की हत्या। राजापुर में सनसनीखेज पांच लोगों की हत्या का मामला पुलिस ने जिस तेज गति से सुलझाया, वह काबिलेतारीफ था।
जिले में थाना एलाट करते वक्त पूरी पारदर्शिता रखी जाती है जिसके लिए एक कमेटी का भी गठन है जिसमे अपर पुलिस अधीक्षक और सभी सीओ शामिल रहते हैं ।
अपराध का गिरा ग्राफ-
ये चित्रकूट पुलिस की चुस्त कार्यशैली का ही नतीजा है कि पिछले सात महीने में अपराध का ग्राफ बहुत तेजी से गिरा है। इतना ही नही बल्कि अपराधियो में भी खौफ है। इस समयावधि में शासन की मंशा के अनुरूप संगठित अपराध के उन्मूलन के लिए भूमाफियाओं में 5 लोगों को चिन्हित करके कार्यवाही की गई। इसके अतिरिक्त वन माफियाओं पर भी कार्यवाही की गई।
अपराधों पर रोक लगाने के उद्देश्य से गुंडा एक्ट, गैंगेस्टर, धारा 151, धारा 110G, जुआ अधिनियम, आबकारी अधिनियम, मादक द्रव्य एक्ट जैसी तमाम धाराओं में विगत वर्षों की तुलना में काफी अधिक कार्यवाही की गई ।
वर्ष 2016 में यातायात माह में 96,000 रुपये शम्न शुल्क एकत्र किया गया । वर्ष 2017 में यातायात माह में कुल 14 ,11900 रुपये शमन शूल्क एकत्र किया गया । यह पुलिस की सक्रियता का स्पष्ट प्रमाण है ।
जनपद में कई बड़े एवं महत्वपूर्ण कार्यक्रम सफलतापूर्वक हुए सम्पन्न-
चित्रकूट जनपद में पुलिस अधीक्षक के आगमन के बाद अनेक बड़े एवं महत्वपूर्ण कार्यक्रमों को अत्यंत सफलतापूर्वक संपन्न कराया गया। मोहर्रम एवं दशहरा के एक साथ पड़ने के कारण साम्प्रदायिक रूप से माह अत्यंत संवेदनशील रहा, किंतु पुलिस की सक्रियता के कारण मूर्ति विसर्जन एवं ताजिया के जूलूस को पूर्ण शांति से निपटाया गया। भदई / सोमवती अमावस्या चित्रकूट में भारी भीड़ वाला मेला है, लेकिन शानदार पुलिस प्रबंधन का ही नतीजा रहा कि 20 से 25 लाख स्नानार्थियों को सफलतापूर्वक स्नान व दर्शन-पूजन में सहयोग कर पुण्य लाभ अर्जित किया गया। चित्रकूट में दीपावाली मेला अत्यंत वृहद होता है। अतः इसे राजकीय मेला घोषित कराने हेतु प्रस्ताव भेजा गया है। इस विशाल मेले को भी उचित एवं चुस्त प्रबंधन के कारण अत्यंत कुशलता से सम्पन्न काराया गया। दीपावाली के दो दिन बाद ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दो दिवसीय कार्यक्रम को भी अत्यंत दक्षता के साथ संपन्न कराया गया।
रेल दुर्घटना के बाद चित्रकूट पुलिस ने सबसे पहले संभाला मोर्चा, यात्रियों ने कहा, “चित्रकूट पुलिस को सलाम”
पिछले महीने ही मानिकपुर जंक्शन के प्लेटफार्म नम्बर दो पर वास्को से पटना जा रही वास्को डिगामा एक्सप्रेस पटरी से उतर गई थी। जिसके बाद रेलवे कर्मचारियों के पहुंचने से पहले ही चित्रकूट पुलिस के जांबाज जवान पुलिस अधीक्षक प्रताप गोपेन्द्र के नेतृव में स्टेशन पहुंच गए और वहाँ मोर्चा संभाल लिया। घायलों को फौरन प्राथमिक इलाज हेतु डायल 100 से जिला चिकित्सालय भेजा गया। चित्रकूट पुलिस ने जिस ततपरता व दक्षता से सहायता पहुंचाई, उसकी प्रशंसा प्रत्येक स्तर पर की गई। इस कार्य के लिए एडीजी जोन एस एन साबत ने DG Commendation Disc के लिए पूरी टीम का नाम भेजा है।
निकाय चुनाव सकुशल सम्पन्न-
नगर निकाय चुनावों में पुलिस की सक्रियता के कारण ही पहली बार इतनी भारी संख्या में मतदान हुआ। सबसे खास बात ये रही कि स्वतंत्र भारत के इतिहास में ये पहला मौका था, जब मानिकपुर में मतणगना हुई और इस बार चुनावों के दौरान बिना डकैतो के फरमान या हस्तक्षेप के ही चुनाव सम्पन्न हुआ। ये भी पहली बार हुआ कि देर शाम तक डकैत प्रभावित क्षेत्र मानिकपुर में लोगों ने मतदान किया। महिलाओं ने भी बड़ी संख्या में बेधड़क घर से सजधजकर बाहर निकलते हुए देर शाम तक चले मतदान में भाग लिया। इस संवेदनशील क्षेत्र में 67.8% मतदान हुआ। राजापुर नगर पंचायत में 68.8% मतदान हुआ।
जनसुनवाई पोर्टल (IGRS) पर जनपद चित्रकूट पूरे सूबे में अव्वल-
गत दिनांक 03-12-2017 को जन सुनवाई पोर्टल पर जनपद चित्रकूट पूरे उत्तर प्रदेश में अव्वल रहा। इसी क्रम में यूपी में गत सप्ताह डायल 100 को रिस्पांस के मामले में पूरे प्रदेश में चौथा स्थान प्राप्त हुआ। आने वाले दिनों में ही इस सेवा में चित्रकूट पुलिस को पहला स्थान भी मिल सकता है।
बहरहाल, अपनी हार का ठीकरा जिला पुलिस विशेषकर पुलिस अधीक्षक पर फोड़ने वालों को इन आंकड़ों एवं तथ्यों को भलीभांति पढ़ना चाहिए। पुलिस का जो कार्य है वो स्पष्ट है और उसे वो अच्छे से कर रही है। अगर झूठा आरोप लगाने वाले अपना काम कर लेते, तो उनका और पार्टी का भला हो गया होता! जनता में भी अब ये चर्चा आम हो रही है कि अपने घर में जनता का दिल नही जीत पाने वाले सिर्फ 6 माह में जनता का मन मोह लेने वाले ऑफीसर पर आरोप न लगायें क्योंकि आसमान पर थूका मुंह पर पड़ता है।