सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
इस उम्र में किस्मत मुलायम को बैल से खेत जोतने की कगार पर ले आई है, जबकि अखिलेश पिता को हल से खेत जोतता छोड़कर मोटरसाइकिल से फर्राटे भरते दिखाई देंगे। आज चुनाव आयोग समाजवादी दंगल में अम्पायर बन फैसला सुनाने वाला है। आयोग में अखिलेश की तरफ से रामगोपाल यादव ने पक्ष रखा है कि सपा के 80 फीसदी विधायक और कार्यकर्ता पार्टी के नए अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ है।
इस मामले में मुलायम सिंह यादव ने चुनाव आयोग के सामने यह दलील रखी है कि वे रामगोपाल को पहले ही पार्टी से निकाल चुके थे, लिहाजा उनके द्वारा बुलाया अधिवेशन अवैध है और वह ही सपा क़े राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। इस स्थिति में जानकारों की राय है कि चुनाव की अधिसूचना जारी हो चुकी है और नामांकन प्रक्रिया शुरू होने वाली है। ऐसे में चुनाव आयोग के सामने इतना समय नहीं है कि वह विवाद की सुनवाई कर किसी नतीजे पर पहुँच सके। क्योंकि इस प्रक्रिया में चार से पांच माह का समय लगेगा । लिहाजा विवाद का निपटारा होने तक उसके सामने सबसे बेहतर विकल्प है कि वह साइकिल चुनाव चिन्ह और समाजवादी पार्टी दोनों का नाम फ्रीज कर दे और 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में दोनो से अलग पार्टी नाम और चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने के लिए कह दे। अगर ऐसा हुआ तो इतनी जल्दी नई पार्टी का नाम और चुनाव निशान मतदाताओं तक पहुँचना दोनो खेमे के लिये सबसे बड़ी समस्या होगी।
दरअसल मुलायम सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी अयोध्या में बाबरी ढांचा ध्वस्त होने के एक साल पहले ही बनाई थी। जबकि मुलायम सिंह यादव ने अपना राजनीतिक सफर लोकदल के साथ शुरू किया था। मुलायम सिंह यादव सन 1982 में लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके हैं। जबकि 1985 में उन्होंने लोकदल के बैनर तले चुनाव लड़ा था और 85 विधानसभा सीटे भी जीती थी। इसी के बाद वह नेता विपक्ष बने थे। अब जब पार्टी पर बेटे अखिलेश ने कब्जा कर लिया है और कभी उनकी जय जयकार करने वाले नेता अखिलेश की हैंडिल पकड़ चुके हैं, तो अब मुलायम सिंह यादव के सामने एक ही रास्ता बचा है कि वह फिर से अपनी पार्टी में वापस लौट जाएं। जिसकी संभावना काफी अधिक दिखाई दे रही है।
अगर ऐसा हुआ तो 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव भाई शिवपाल और अमर सिंह के साथ दो बैलों की जोड़ी लेकर किसान के भेष में इस उम्र में खेत जोतते नजर आएंगे।
सूत्रों की माने तो लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील सिंह से अमर सिंह, मुलायम सिंह यादव और शिवपाल से लगातार वार्ता हो रही है। लोकदल मुलायम सिंह यादव को पार्टी अध्यक्ष बनाने को तैयार भी है। अब मुलायम और शिवपाल समर्थक सपा नेताओं को लोकदल से टिकट दिया जाएगा। बस इन्तजार है तो चुनाव आयोग के फैसले का जिसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई है।