अनुज हनुमत,
आज कांग्रेस को उस वक्त जबर्दस्त झटका लगा जब उसके केवल एक विधायक को छोड़कर मुख्यमंत्री पेमा खांडू सहित इसके सभी विधायक पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (पीपीए) में शामिल हो गए। इस घटना ने कांग्रेस को हिला दिया है।
सूत्रों की मानें तो खांडू कांग्रेस के 43 विधायकों के साथ पीपीए में शामिल हो गए और सरकार को वस्तुत: पीपीए सरकार में तब्दील कर दिया। गौरतलब है कि अभी दो महीने पहले ही कांग्रेस सरकार की बहाली के घटनाक्रम के बाद खांडू राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। आज के घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के साथ अब केवल एक विधायक नबाम तुकी ही बचे हैं। राजनीतिक जानकारों की माने तो कांग्रेस ने पार्टी में बगावत को नियंत्रित करने के प्रयास के तहत जुलाई में तुकी की जगह खांडू को मुख्यमंत्री बनाया था।
बहरहाल, अब देखना यह होगा कि पीपीए बीजेपी के साथ जाती है या नहीं। क्योंकि राज्य में बीजेपी के पास 11 विधायक हैं और राज्य की 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 47 विधायक थे। बीजेपी के 11 और दो निर्दलीय विधायक हैं। कांग्रेस के दो विधायकों की स्थिति के बारे में अभी फैसला होना बाकी है, जिन्होंने हालिया राजनीतिक घटनाक्रम से पहले इस्तीफा दे दिया था।
आपको बता दें की राज्य में राजनीतिक सरगर्मियों के चलते जनवरी 2016 में पहली तुकी सरकार गिर गई, राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा और कुछ समय के लिए दिवंगत कलिखो पुल की सरकार बनी। पार्टी आलाकमान को उस वक्त तगड़ा झटका लगा था जब कांग्रेस विधायक पुल ने पिछले महीने आत्महत्या कर ली थी। उन्हें सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जुलाई में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
आज के पूरे घटनाक्रम के बाद विभिन्न राजनीतिक दलों की टिप्पणियाँ भी सामने आने लगी हैं। सबसे पहले केंद्रीय गृहराज्य मंत्री और अरुणाचल पश्चिम संसदीय सीट से बीजेपी के सांसद किरण रिजीजू ने इस बड़े राजनीतिक घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस बेवजह बीजेपी पर आरोप लगाती है। अब अरुणाचल में कांग्रेस की सरकार ही नहीं रही, क्योंकि सभी विधायक एक क्षेत्रीय पार्टी में चले गए हैं। आगे रिजीजू ने कहा कि अगर विधायक कांग्रेस के साथ रहना ही नहीं चाहते तो हम क्या कर सकते हैं?