सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार रीता बहुगुणा जोशी भाजपा का दामन थाम सकती हैं। हालांकि अटकलों पर रीता के भाई और भाजपा नेता विजय बहुगुणा का कहना है कि ये बस एक अफवाह है, इसमें सच्चाई नहीं है। गौरतलब है कि रीता के भाई और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा जोशी पहले ही कांग्रेस को छोड़कर बीजेपी से जुड़ कर चुके हैं। उस समय भी रीता के बीजेपी में शामिल होने की अटकलें तेज हुई थीं, हालांकि उन्होंने ऐसी खबरों का खंडन किया था।
उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता, 2007 से 2012 के बीच यूपी कांग्रेस कमेटी की अध्यक्षा रही हैं। रीता ने दो बार लोकसभा चुनावों में ताल ठोंकी है, हालांकि उन्हें दोनों बार हार का स्वाद चखना पड़ा। 2012 में उन्होंने लखनऊ के कैंट विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2014 के लोकसभा चुनावों में भी रीता ने हाथ आजमाया था, मगर उन्हें भाजपा के राजनाथ सिंह से शिकस्त हासिल करनी पड़ी। यूपी में उन्होंने जनता से जुड़े अनेक मुद्दों पर सड़क पर संघर्ष किया और कार्यकर्ताओं के साथ आवाज बुलंद की।
रीता बहुगुणा जोशी ब्राह्मण समुदाय से हैं और पार्टी के ब्राह्मण चेहरों में सबसे आगे हैं। इसके बावजूद कांग्रेस ने ब्राह्मण तबके से दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को यूपी में सीएम चेहरा बनाया। उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर हैं और प्रदेश में चुनाव की कमान कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने संभाल रखी है। ऐसे में रीता बहुगुणा जोशी की प्रदेश में कोई अहम भूमिका ही नहीं है।
आपको बता दें कि इससे पहले मई में भी जोशी के समाजवादी पार्टी में शामिल होने की अटकलें लगाई गई थीं। तब रीता मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से अचानक मिलने जा पहुंची थी जिसके बाद चर्चाओं को बल मिला। हालांकि उन्होंने सपा का साथ नहीं दिया और कांग्रेस में ही रहीं।