सौम्या केसरवानी । Navpravah.com
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर के बालिका आश्रय गृह में बच्चियों के बलात्कार मामले पर आज संज्ञान लिया। कोर्ट ने मीडिया में नाबालिग रेप पीड़िता की तस्वीर किसी भी तरीके से दिखाने पर नाराजगी व्यक्त की है। कोर्ट ने मॉर्फ्ड (अस्पष्ट) तस्वीर के उपयोग पर भी पाबंदी लगा दी है।
जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने मीडिया में आ रही पीड़ित बच्चियों की तस्वीरों पर चिंता जताई है। पीठ ने इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को आदेश दिया है कि वो बच्चियों का न तो इंटरव्यू लें और न ही तस्वीर दिखाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार, महिला-बाल कल्याण मंत्रालय, राष्ट्रीय बाल अधिकार आयोग (NCPCR) और अन्य को नोटिस जारी कर मंगलवार तक जवाब मांगा है, मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी। कोर्ट ने इस मामले में वकील अर्पणा भट्ट को एमिक्स क्यूरी (न्याय मित्र) नियुक्त किया है।
इस मामले का खुलासा तब हुआ, जब मुंबई की संस्था टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइसेंस की टीम ने बालिका गृह के सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यौन शोषण का उल्लेख किया था। इसके बाद मुजफ्फरपुर महिला थाने में इस मामले की एफआईआर कराई गयी। इसके बाद लड़कियों के चिकित्सकीय जांच में भी यहां की 41 लड़कियों में से 29 लड़कियों के साथ दुष्कर्म होने की पुष्टि हुई थी।
मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीड़न मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घटना की सीबीआई जांच की सिफारिश की थी और डीजीपी को आदेश दिया था कि जांच सीबीआई को सौंप दी जाये। सीबीआई ने इस मामले में जांच शुरू करते हुए मुकदमा दर्ज किया है।