अमित द्विवेदी,
रक्षा क्षेत्र में मजबूती लाने के लिए आज भारत और अमरीका ने एक अहम समझौते पर हस्ताक्षर किया। इस समझौते से दोनों देशों की सुरक्षा व्यवस्था को काफी मज़बूती मिलेगी और दोनों देश एक दूसरे के संसाधनों का इस्तेमाल कर स्वयं को मज़बूत बना सकेंगे। यह दोनों देश अपने संसाधनों के साथ ही सेना मरम्मत और आपूर्ति के सम्बन्ध में भी एक दूसरे की संपदाओं और अड्डों को प्रयोग में ला सकेंगे।
रक्षा समझौते ओर हस्ताक्षर करने के बाद दोनों देशों के रक्षामंत्रियों ने अपने साझा बयान में स्पष्ट किया कि इस समझौते से सिर्फ रक्षा मामले को मजबूती नहीं मिलेगी बल्कि व्यापार को भी मज़बूती प्राप्त होगी। यह समझौता दोनों देशों की सेना के बीच साजो-सामान संबंधी सहयोग, आपूर्ति और सेवा की व्यवस्था प्रदान करेगा।
मंत्रियों ने अपने जारी बयान में स्पष्ट किया कि दोनों देशों के बीच रक्षा संबंध उनके ‘साझा मूल्यों एवं हितों’ पर आधारित है। समझौते का आधार दोनों देशों की तरक्की है।
समझौते के बारे में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर और उनके अमेरिकी समकक्ष एश्टन कार्टर ने कहा है कि यह रक्षा समझौता सैन्य अड्डे स्थापित करने के लिए नहीं है। पर्रिकर और कार्टर ने दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित ‘लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट’(एलईएमओए) के बारे में बता रहे थे।