स्पेशल रिपोर्ट: देश की दशा बदल पाएंगे बैटरी चलित वाहन!

इलेक्ट्रॉनिक वाहन

राजेश सोनी | Navpravah.com 

देश के अधिकतर महानगरों में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक ढंग से बढ़ चुका है। वायु प्रदुषण के कारण देश की राजधानी दिल्ली में तो अब लोगों को स्वच्छ सांस लेने में भी दिक्कत होने लगी है। बढ़ते वायु प्रदुषण की समस्या से देश का कोई भी प्रमुख महानगर अछूता नहीं है, लगभग सभी ओर एक जैसे हालात हैं। महानगरों में वायु प्रदुषण फैलने के सबसे प्रमुख कारणों में से एक है वाहनों द्वारा निकलने वाला हानिकारक धुआँ। हानिकारक वायु प्रदुषण के कारण लोगों में मस्तिष्क और दिल से संबंधित तरह-तरह की बीमारी होने का डर लगा रहता है। इस खतरे को देखते हुए सरकार देश में 2030 तक ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक और सीएनजी वाहनों को तरजीह देना चाहती है।  

सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स द्वारा आयोजित गत वार्षिक सम्मेलन में विकास के प्रयासों के बारे में चर्चा करते हुए केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा था कि पेट्रोल और डीजल वाहनों को इलेक्ट्रिक और दूसरे विकल्प पर चलने वाले इंजनों के लिए भविष्य में मार्ग बनाने की आवश्यकता होगी। वायु प्रदुषण का स्तर कम करने के लिए वाहनों को डीजल और पेट्रोल के अलावा ईंधन के दूसरे प्रकार जैसे सीएनजी, जैव ईंधन (बायोफ्यूल) और एथेनॉल के इस्तेमाल करने की जरूरत होगी।

इस सम्मेलन में परिवहन मंत्री गडकरी ने सरकार की मंशा स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि देश की सड़कों पर 2030 तक पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक वाहन ही चले। यह सरकार की एक बड़ी योजना का हिस्सा है। उन्होंने आगे कहा कि इसके लिए ऑटो इंडस्ट्री शोध और नई तकनीकों का इजात करे, जिससे प्रदूषण रहित वाहन तैयार किए जा सके। उन्होंने आगे कहा कि सरकार यह भी विचार कर रही है कि दुपहिया वाहनों को टैक्सी के तौर पर इस्तेमाल किया जाए, जिससे सड़कों पर कारों की संख्या कम की जा सके। उन्होंने आगे कहा कि वैकल्पिक परिवहन समाधान भारत के जाम और प्रदूषित सड़कों के लिए एक अच्छी खबर है। वहीं उन्होंने भारत में 2030 तक इलेक्ट्रॉनिक पैसेंजर कार का मार्केट बनाने की भी बात कही।

 

PC: DECCAN HERALD

आइये सरकार की इलेक्ट्रॉनिक वाहन निति के बारे में संक्षेप में जानते हैं, जिसमें 2030 तक भारत में सभी पेट्रोल-डीजल वाहनों को इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में बदला जाएगा और 2040 तक वाहनों द्वारा हो रहे वायुप्रदुषण को ख़त्म करने का लक्ष्य है।

-सरकार आने वाले समय में एनसीआर क्षेत्र के लिए 10,000 इलेक्ट्रॉनिक कार खरीदने की योजना बना रही है।
-सरकार 2019 तक 10 लाख तीन चक्का यात्री वाहन और 10,000 इलेक्ट्रिक बस शहरों की सड़कों पर लाने की योजना बना रही है। बता दें कि सरकार को 10,000 इलेक्ट्रॉनिक कार बेचने के लिए भारत में मौजूद 6 बड़ी कार कंपनियां अपना टेंडर दे चुकी हैं। जिनमें टाटा मोटर्स, मारुती सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा और हुंडई शामिल है।
 
-इलेक्ट्रॉनिक कार खरीदने के अलावा सरकारी स्वामित्व वाली ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (ईईएसएल) ने इलेक्ट्रॉनिक वाहन इस्तेमाल करने वालों के लिए दिल्ली-एनसीआर में चार हज़ार से ज्यादा चार्जिंग स्टेशन लगाने के लिए भी टेंडर निकाले हैं, जिससे इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के लिए आम लोगों के बीच मांग बढ़े।
-इलेक्ट्रॉनिक वाहन निर्माताओं को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार उनको कर दर में भी राहत देगी, ताकि वह लोग ज्यादा से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक वाहन का मैनुफ़ैक्चर करे।
-ऐसे ही चार्जिंग स्टेशन 50,000 तीन चक्का इलेक्ट्रॉनिक वाहन और 10,000 सिटी बसों के लिए भी निर्माण किये जायेंगे।

बैटरी रिक्शा Albedo Vision

बता दें कि महिंद्रा एंड महिंद्रा ने देश की पहली 3 व्हीलर वाहन तैयार की है, जो एक बार फुल चार्ज होने पर 85 किलोमीटर तक चल सकती है। इस इलेक्ट्रिक 3 चक्का वाहन की टॉप स्पीड 25 किलोमीटर प्रति घंटा है।

हमने इस संदर्भ में प्रज्ञात द्विवेदी (एल्बेडो विज़न) से बात की, जो एक इलेक्ट्रॉनिक ऑटोरिक्शा मैन्युफैक्चरर हैं। जब हमने उनसे सरकार के इलेक्ट्रॉनिक वाहन नीति के बारे में जाना, तो उन्होंने हमें बताया कि इलेक्ट्रॉनिक वाहन समय की मांग है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वाहन काफी किफायती है। वह जो इलेक्ट्रॉनिक ऑटो रिक्शा मैनुफ़ैक्चर करते हैं, उसे 4 से 6 घंटे चार्ज करने पर 100 किलोमीटर तक चलाया जा सकता है और इस इलेक्ट्रॉनिक ऑटो रिक्शा की बिलकुल ज़ीरो मेंटेनेंस है।

वह महाराष्ट्र सरकार के इलेक्ट्रॉनिक नीति से नाराज लगे। उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसे तो 2030 तक पूरे देश में इलेक्ट्रॉनिक वाहन चलाने हैं, पर महाराष्ट्र में अभी तक एक इलेक्ट्रॉनिक ऑटो रिक्शा नहीं बेचने दिया गया है। वहीं वह सरकारी रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस (आरटीओ) के अधिकारीयों से काफी नाराज़ नजर आए। उन्होंने कहा कि आरटीओ में किसी को इलेक्ट्रॉनिक वाहन रजिस्ट्रेशन कराने के चार्ज के बारे में पता नहीं है और उन्हें इलेक्ट्रॉनिक वाहन सम्बन्धी कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने आगे कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वाहन उद्योग के लिए सरकार द्वारा आसानी से ट्रेड सर्टिफिकेट नहीं मिल रहा है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार का राज्य सरकार को इलेक्ट्रॉनिक वाहन उद्योग और इस नीति को बढ़ावा देने के लिए बराबर समर्थन नहीं है।

 

pc :rediff.com

वहीं उन्होंने इस इलेक्ट्रॉनिक वाहन उद्योग के फायदों के बारे में विस्तार में बताया है। आइये जानते हैं इलेक्ट्रॉनिक वाहन और उद्योग के फायदे के बारे में,

रोजगार- उन्होंने कहा कि अगर इलेक्ट्रॉनिक वाहन के उद्योग लगते हैं, तो इससे युवाओं को रोजगार मिलेगा।

वायु प्रदुषण- इलेक्ट्रॉनिक वाहन के कारण वायु प्रदुषण में कमी आएगी और बीमारियां कम फैलेगी।

ट्रैफिक समस्या में कमी- इलेक्ट्रॉनिक वाहन से ट्रैफिक समस्या में कमी आएगी।

मेक इन इंडिया- अगर हम हमारे देश में इलेक्ट्रॉनिक वाहन निर्माण करते हैं, तो इससे हमारे देश के प्रधानमंत्री की महत्वकांक्षी योजना ‘मेक इन इंडिया’ को बढ़ावा मिलेगा।

स्किल इंडिया- इलेक्ट्रॉनिक वाहन उद्योग देशभर में लगते हैं, तो लोगों को गाड़ी बनाने का हुनर मिलेगा, जिसके कारण इलेक्ट्रॉनिक वाहनों के मैकेनिक के तौरपर रोजगार बढ़ेगा।

पलायन में कमी- अगर देश के विभिन्न राज्यों में इलेक्ट्रॉनिक वाहन के उद्योग लगते हैं, तो देश में पलायन की समस्यों में कमी आएगी और लोगों को उनके गांव और उनके राज्य में ही रोजगार प्राप्त होगा।

स्वास्थ्य बजट में कमी- इलेक्ट्रॉनिक वाहन की तादाद अगर सड़कों पर बढ़ती है, तो इससे वातावरण में वायु प्रदुषण में कमी आएगी और इससे बीमारियां कम फैलेंगी। जिससे सरकार को स्वास्थ्य बजट में फायदा होगा।

महाराष्ट्र सरकार करेगी पांच लाख इलेक्ट्रॉनिक वाहन लॉन्च:

महारष्ट्र सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का बढ़ावा देने के लिए अपनी महाराष्ट्र इलेक्ट्रॉनिक वाहन नीति 2018 घोषित कर दी है। सरकार के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक वाहन इस्तेमाल करने से वायु प्रदुषण में कमी आएगी और पेट्रोल के इस्तेमाल में कमी आएगी। इलेक्ट्रॉनिक मोबिलिटी प्लान के तहत 2020 तक 60 लाख से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक वाहन सड़क पर उतारने की योजना है। वहीं महाराष्ट्र सरकार की इलेक्ट्रॉनिक वाहन नीति 2018 के अनुसार राज्य में रजिस्टरड इलेक्ट्रॉनिक वाहनों की संख्या 5 लाख तक बढ़ने के साथ छोटे कलपुर्जे,बैटरी चार्जिंग का उपकरण आदि क्षेत्रों में 25 जज़र करोड़ रुपए निवेश के साथ 1 लाख रोजगार निर्माण करने का लक्ष्य है।

बता दें कि मुंबई, पुणे, औरंगाबाद, ठाणे, नागपुर और नाशिक में सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का उपयोग होगा। रोड टैक्स एवं रजिस्टर्ड टैक्स से इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को मुफ्त रखा जाएगा। पहले एक लाख इलेक्ट्रॉनिक वाहनों को पांच साल तक विशेष सब्सिडी दी जायेगी और इन जगहों पर 250 चार्जिंग स्टेशन भी तैयार किये जायेंगे।
 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.