एनपी न्यूज़ डेस्क|Navpravah.com
अरुणाचल प्रदेश में वायुसेना का एमआई 17 वी5 हेलिकॉप्टर क्रैश हो गया था। इसमें दो जवान और पांच क्रू मेंबर समेत सात जवान शहीद हो गए थे, शहीद हुए जवानों के शवों को गत्ते में रखे जाने की तस्वीरें रविवार को सामने आई थीं, कई लोगों ने इसके लिए सरकार और सेना के तरीके पर सवाल उठाए। फोटो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने अपना गुस्सा भी जमकर सरकार पर उतारा।
विवाद बढ़ता देख सेना ने अपनी गलती मानी और कहा कि सेना ने कहा कि भविष्य में शवों को उचित तरीके से पहुंचाना की पूरी कोशिश की जाएगी। सेना ने एक बयान जारी करके कहा कि स्थानीय संसाधनों से शवों को लपेटना भूल थी, ये गलती थी, शहीद सैनिकों को हमेशा ही पूरा सैन्य सम्मान दिया गया है।
रविवार को उत्तरी सैन्य कमान के लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एच एस पनाग ने शवों की तस्वीर के साथ अपने ट्वीट में कहा, सात युवा अपनी मातभूमि भारत की सेवा करने के लिये कल दिन के उजाले में निकले.और वे अपने घर इस तरह आए। उनके इस ट्वीट के बाद ही सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर सवाल उठने लगे थे।
बाद में सेना द्वारा जारी एक बयान में कहा गया कि अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्र में सीमित संसाधनों के कारण हेलिकॉप्टर ज्यादा भार नहीं ले जा सकते। इसलिए बॉडी बैग्स या ताबूत के बजाय शव उपलब्ध स्थानीय संसाधनों में लपेटे गए। बयान में कहा गया कि गुवाहाटी बेस अस्पताल में पोस्टमार्टम के तुरंत बाद शवों को पूर्ण सैन्य सम्मान के साथ लकड़ी के ताबूत में रखा गया था।
एक अधिकारी के अनुसार तस्वीरें उस वक्त ली गईं जब शव गुवाहाटी में थे। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवत्त) पनाग ने कहा कि जब तक ताबूत उपलब्ध नहीं हों तब तक शवों को अग्रिम स्थानों से ले जाने में उचित सैन्य बॉडी बैग्स का अवश्य इस्तेमाल किया जाना चाहिये।