विकास कुमार तिवारी । Navpravah.com
रविवार, 25 जून को योगी सरकार अपने 100 दिन पूरे होने पर श्वेत पत्र जारी करने वाली थी, परंतु रविवार को ही एनडीए के राष्ट्रपति उम्मीदवार रामनाथ कोविंद जी लखनऊ पहुँच गए। इसके उपरांत शाम को खबर आई की रामनाथ जी के कार्यक्रम के कारण अब आज श्वेत पत्र का कार्यक्रम नहीं होगा। ऐसे में विपक्ष समेत आम जन की निगाहें रविवार को जारी होने वाले योगी सरकार के ‘श्वेत पत्र’ पर टिकी रहीं, जो उस दिन जारी न हो सका।
सब इस श्वेत पत्र पर इसलिए निगाहें टिकाए रहे, क्योंकि यह योगी सरकार का रिपोर्ट कार्ड है। यह कार्यक्रम ईद के कारण 26 जून को भी नहीं हो सका। अब योगी सरकार का श्वेत पत्र 27 या 28 जून को जारी हो सकता है। योगी सरकार ने जिस तरह से उत्तर प्रदेश में प्रचण्ड बहुमत हासिल किया व सत्ता में आई, शुरूआत में उसी प्रचण्ड रफ्तार में उसने अवैध खनन, एन्टी रोमियो, अवैध बूचड़खाने समेत कई मुद्दों को उठाकर उन पर कार्यवाही भी की, पर यह रफ्तार महीने भर बाद ढीले पड़ गई और योगी सरकार के वायदों पर बड़ा सा प्रश्न चिन्ह भी अंकित हो गया।
गौरतलब है कि विपक्ष में जब भाजपा थी, तब तत्कालीन सपा सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर भाजपा लगातार आरोप लगाती रही, पर कानून-व्यवस्था दुरुस्त करने के वादे के साथ प्रदेश में आई बीजेपी सरकार के गठन के बाद आपराधिक वारदातों में कोई कमी नहीं नज़र आयी है। अधिकतर क्षेत्रों से दिन दहाड़े हत्या-लूटपाट की खबरें आती रहती हैं। खासकर सहारनपुर में हुए जातीय संघर्ष से सरकार को असहज स्थिति का सामना करना पड़ा है। यह स्थिति मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिये कड़ी चुनौती है, क्योंकि राजनीतिक लिहाज से उनपर वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की छवि को अतिसंवेदनशील यूपी में बेहतर बनाए रखने की जिम्मेदारी है और अपने कड़क फैसले की सुरक्षा भी उनके हाथ में है।
बता दें कि पिछली सरकार पर भी जातीय भेद को लेकर आरोप लगे थे। वही आरोप मायावती ने योगी सरकार पर भी लगाए हैं। उनका कहना है कि योगी जी के आने के बाद क्षत्रिय समाज शोषण करने पर ऊतारू है। कई क्षेत्रों में सरकार की सराहना भी की गई है। राज्य में किसानों की कर्जमाफी के बाद, बिजली के मोर्चे पर योगी सरकार द्वारा उठाए गए कदमों से जनता संतुष्ट दिखी है। इनमें केन्द्र के साथ ‘पॉवर टू आल’ समझौता भी शामिल है। इसके अलावा राज्य सरकार ने जिला मुख्यालयों में 24 घंटे, तहसील मुख्यालयों में 20 घंटे तथा गांवों में 18 घंटे बिजली देने का प्रावधान भी किया है।
सरकार द्वारा राज्य में अधिकारियों का तबादला और तैनाती मेरिट के आधार पर करने के फैसले को भी सही माना जा रहा है। हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि तीन महीने का समय किसी सरकार के लिये बहुत कम है। आमतौर पर इतनी कम अवधि की सरकार के पास दिखाने लायक कोई खास उपलब्धि नहीं होती। आपको याद दिला दें कि उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने पहले कहा था, “केवल 48 दिनों में बदलाव नहीं महसूस हो सकता। जब भाजपा सरकार के 100 दिन हो जाएंगे, तो उत्तर प्रदेश की जनता पूर्व और वर्तमान सरकारों के प्रदर्शन की तुलना कर सकेगी।” इसलिए सौ दिन पूरे होने पर विपक्षी पार्टियों को घेरने के लिए यह मौका भी मिल गया है।
इसके बावजूद इतना जरूर साफ है कि श्वेत पत्र जारी होने से पहले ही ऐसा माहौल बनना शुरू हो गया, जो योगी सरकार को फायदा पहुंचाएगा।