एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
दालचीनी मन को प्रसन्न करती है, सभी प्रकार के दोषों को दूर करती है, यह पेशाब और मासिक-धर्म को जारी करती है, धातु को पुष्ट करती है। मानसिक उन्माद यानी कि पागलपन को दूर करती है।
इसका तेल सर्दी की बीमारियों और सूजनों तथा दर्दो को शान्त करता है। सिरदर्द के लिए यह बहुत ही गुणकारी औषधि होती है, दालचीनी उष्ण, पाचक, स्फूर्तिदायक, रक्तशोधक, वीर्यवर्धक व मूत्रल है।
यह श्वेत रक्तकणों की वृद्धि कर रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाती है, बवासीर, कृमि, खुजली, मूत्राशय के रोग, टायफायड, ह्रदयरोग, कैन्सर, पेट के रोग आदि में यह लाभकारी है।
दालचीनी गर्म होती हैं अत: इसे थोड़ी सी मात्रा में लेते हुए धीरे-धीरे बढ़ाना चाहिए। परन्तु यदि किसी प्रकार का दुष्प्रभाव या हानि हो तो सेवन को कुछ दिन में ही बंद कर देते हैं और दुबारा थोड़ी सी मात्रा में लेना शुरू करें।
दालचीनी पाउडर की उपयोग की मात्रा 1 से 5 ग्राम होती है, पाउडर चम्मच के किनारे से नीचे तक ही भरा जाना चाहिए। बच्चों को भी इसी प्रकार अल्प मात्रा में देते हैं, दालचीनी का तेल 1 से 4 बूंद तक काम में लेते हैं, दालचीनी का तेल तीक्ष्ण और उग्र होता है, इसलिए इसे आंखों के पास न लगाएं।