डॉ० कुमार विमलेन्दु सिंह | Cinema Desk
विश्व सिनेमा ने जिस पैमाने पर मानव सभ्यता को प्रभावित किया है, शायद ही किसी और माध्यम ने कभी किया। आज पूरे विश्व के लगभग हर देश में फ़िल्में बनती हैं और हर तरीके की फ़िल्में बनती हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात तो ये है कि हर तरीके की फ़िल्मों के दर्शक भी हमेशा होते हैं। ठीक कहती थीं लिलियन गिश कि “छापेखाने के बाद, सबसे प्रभावशाली आविष्कार, फ़िल्म विधा है।”
लिलियन गिश, जिसका सौन्दर्य अप्रतिम था, मिस लिलियन जो यादगार क़िस्सों का हिस्सा थी, लिलियन जो सिनेमा के साथ ही पैदा हुई, लिलियन डायना गिश, जो विश्व सिनेमा की पहली वास्तविक अभिनेत्री थी।
“वास्तविक अभिनेत्री” इसलिए क्योंकि पहली फ़ीचर फ़िल्म, जो 12 रील और 3 घंटे की थी, वो डेविड ग्रिफ़िथ की, 1915 में आई “द बर्थ ऑफ़ ए नेशन” थी और यही वो पहली फ़िल्म थी, जिसे वाईट हाउस में प्रदर्शित किया गया था। तत्कालीन राष्ट्रपति वुडरो विल्सन ने कहा था कि ये फ़िल्म, “विद्युत से लिखित इतिहास” है। हालांकि ये मूक फ़िल्म थी और इसमें लिलियन के अलावा और अभिनेत्रियां भी थीं, लेकिन इनका रोल बड़ा था और यही याद भी रहीं।
लिलियन गिश ने ठीक अगले ही साल, ग्रिफ़िथ की ही फ़िल्म, “इनटॉलरेंस”, बहैसियत हिरोइन की। लिलियन की मां, रंगमंच पर काम करती थीं और थोड़ा बड़ा होने पर लिलियन और उनकी बहन डॉरोथी ने भी मंच पर काम करना शुरू कर दिया। डॉरोथी भी आगे चलकर मशहूर अभिनेत्री बनीं। लिलियन ने कोई विधिवत शिक्षा नहीं ली थी अभिनय की, लेकिन इतने ईमानदारी और मेहनत से काम किया कि उनकी ख्याति, पूरे विश्व में फैली।
जब सवाक् फ़िल्मों का दौर आया, तो धीरे धीरे इन्होंने फ़िल्मों से किनारा किया और टेलीविज़न पर काम किया। लिलियन ने फ़िल्म की पेचीदगी भरी बारीकियां ख़ुद सीखीं।
“1930 के दशक में कई अभिनेत्रियां आईं जिनके ख़ूबसूरती की चर्चा आज भी होती है, लेकिन हॉलीवुड के विशेषज्ञों की मानें तो, ” इन सभी ग्लैमर कन्याओं की संपूर्ण सेक्स अपील पर लिलियन की उंगलियों का क्लोज़ अप भी भारी था।” लिलियन बेहद ख़ूबसूरत थीं।”
फ़िल्मों में क्लोज़ अप और फ़ेड आउट तकनीक के साथ काम करने वाली वे पहली अभिनेत्री थीं। रॉबर्ट एल्टमैन ने अपनी 1978 में आई फ़िल्म, ” ए वेडिंग ” में लिलियन को फ़िल्मों की सौवीं भूमिका एक श्रदधापूर्ण भेंट के रूप में दी।
लिलियन, रंगमंच से सिनेमा में आईं, सिनेमा से टेलीविज़न होते हुए वापस रंगमंच पर चली गईं। वे लगभग सौ साल ज़िंदा रहीं, जिसमें से 75 साल सिनेमा और अभिनय को दिए । 1992 में, लिलियन चल बसीं।
विश्व सिनेमा की प्रथम अभिनेत्री को सादर प्रणाम।
(लेखक जाने-माने साहित्यकार, स्तंभकार, व शिक्षाविद हैं.)