लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने अप्रासंगिक हो चुके 6 भत्तों को तत्काल प्रभाव से खत्म कर दिया है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने गुरुवार को राज्य कर्मचारियों को मिलने वाले छह भत्तों को समाप्त करने का बड़ा फैसला लिया है। अपर मुख्य सचिव वित्त संजीव मित्तल ने इसका शासनादेश जारी कर दिया है जिसके बाद कर्मचारी संगठनों में आक्रोश है।
इसको लेकर वित्त विभाग के अपर मुख्य सचिव संजीव मित्तल ने गुरुवार को आदेश जारी कर दिया। राज्य सरकार का तर्क है कि इन भत्तों की प्रासंगिकता खत्म हो चुकी थी लिहाजा इनको समाप्त किया जा रहा है। अपर मुख्य सचिव ने बताया कि यह वह भत्ते हैं जो अधिकारियों व कर्मचारियों को समय-समय पर स्वीकृत किए गए थे।
आज इन भत्तों की प्रासंगिकता नहीं रह गई है, इसलिए यह भत्ते तत्काल प्रभाव से समाप्त कर दिए गए हैं। इनमें कंप्यूटर संचालन के लिए कर्मचारियों को 200 रुपये प्रति माह भत्ता मिलता था। स्वैच्छिक परिवार कल्याण कार्यक्रम के तहत दो बच्चों का सीमित परिवार रहने पर अधिकारियों व कर्मचारियों को अतिरिक्त प्रोत्साहन भत्ता दिया जाता था। यह भत्ता चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को 250 रुपये, द्वितीय श्रेणी व तृतीय श्रेणी के कर्मियों को 450 रुपये व प्रथम श्रेणी के अफसरों को 650 रुपये प्रतिमाह मिलता था।
इन भत्तों को किया समाप्त
वित्त विभाग के इस बाबत गुरुवार को जारी आदेश में कहा गया है कि प्रदेश सरकार द्वारा राजकीय अधिकारियों एवं कर्मचारियों को समय-समय पर कतिपय ऐसे भत्ते अनुमन्य किए गये हैं जिनके संबंध में यह अनुभव किया गया है कि ऐसे भत्तों की प्रासंगिकता नहीं रह गयी है।
इस वजह से शासन द्वारा विचार के बाद निर्णय लिया गया है कि इन भत्तों को लेकर पूर्व में जारी शासनादेशों को समाप्त किया जाता है। योगी आदित्यनाथ सरकार ने सभी कर्मचारियों के जिन भत्तों को खत्म किया है, इनमें कंप्यूटर संचालन, स्वैच्छिक परिवार कल्याण कार्यक्रम, स्नातकोत्तर, द्विभाषी प्रोत्साहन, कैश हैंडलिंग व सिंचाई विभाग का परियोजना भत्ता शामिल हैं।