बरेली. उत्तर प्रदेश के बरेली जिले से एक ऐसी घटना सामने आई है जो योगी सरकार की कानून व्यवस्था सवालिया निशान खड़े करती है। बरेली के आंवला में स्टेट बैंक चौराहे पर शनिवार सुबह करीब 9 बजे महिला की सरेबाजार गोली मारकर हत्या कर दी गई। मृतका और हत्यारे दोनों अनुसूचित जाति के हैं।
बताया जा रहा है कि बच्चों के झगड़े में हुए मुकदमे को लेकर दोनों पक्षों में तनातनी चल रही थी। दिनदहाड़े हत्या से बाजार में भगदड़ मच गई। सूचना पर एसपी देहात समेत अन्य अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस जांच पड़ताल में जुटी।
आंवला कस्बा के मुहल्ला जाटवपुरा निवासी ऊषा देवी संविदा सफाईकर्मी थी। पिछले दिनों बच्चों के झगड़े को लेकर उनका कस्बा के ही कुछ लोगों से विवाद हो गया था। जिसमें मुकदमा भी दर्ज है। उनके बेटे शिवम की ओर से दी गई तहरीर के अनुसार, शनिवार सुबह करीब नौ बजे उनकी मां ऊषा देवी दवाई लेने के लिए जा रही थी। तभी स्टेट बैंक चौराहा के पास पहले से घात लगाए बैठे दूसरे पक्ष के आकाश पुत्र जवाहर लाल, अरुण, सोनू, शेखर, छोटे व विजेंद्र निवासी स्टेट बैंक, छोटी बाजार ने उन्हें घेरकर हमला कर दिया। सभी के हाथों में असलहे थे। इस दौरान आकाश ने तमंचे से गोली मार दी जो ऊषा देवी के पेट में जा लगी। इससे वह जमीन पर गिर पड़ी और उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
ताबड़तोड़ फायरिंग और कत्ल के बाद मची भगदड़
आरोपित महिला को मौत के घाट उतारने के बाद लाश के पास खड़े होकर फायरिंग कर दहशत फैलाते रहे। सरेबाजार कत्ल और फिर ताबड़तोड़ फायरिंग से आसपास मौजूद राहगीर और दुकानदार भयभीत हो गए। सड़क पर भगदड़ सी मच गई। वहीं, दुकानदार भी दुकानें बंद कर भागने लगे।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, पिछले दिनों बच्चों के विवाद में मुकदमेबाजी के बाद दोनों पक्षों में रंजिश चल रही थी। पुलिस ने मुकदमे में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की, जिससे दोनों पक्षों में बदले की भावना भड़क रही थी। शनिवार सुबह जब दोनों पक्षों का आमना-सामना हुआ तो उसने खूनी रूप ले लिया। ग्रामीणों का कहना है कि यदि पुलिस ने समय रहते दोनों को समझाकर समझौता करा दिया होता तो शायद वारदात नहीं होती।