मिशन 2019 से पहले मोदी सरकार ने आम बजट पेश कर ज्यादा से ज्यादा आम जनमानस को अपनी तरफ खींचने का प्रयास किया है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज अपने बजट भाषण में कहा कि अर्थव्यवस्था पटरी पर है और भारत जल्द ही दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनेगा और इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जीएसटी की वजह से टैक्स देनदारों की संख्या बढ़ी है़। उन्होंने कहा कि कैश का चलन कम हुआ है और उन्होंने देश को भरोसा भी दिलाया कि खेती की नीति के तहत साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करनी है।
● सरकार ने कस्टम ड्यूटी बढ़ा दी है, जिसके बाद टीवी सेट, मोबाइल महंगे होंगे । ● शिक्षा, स्वास्थ्य पर सेस 3 फीसदी से बढ़ाकर 4 फीसदी किया गया। इससे आपके हर बिल पर टैक्स बढ़ गया है। ● शेयर खरीदने-बेचने पर लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स 10 फीसदी होगा। ● सीनियर सिटीजन्स को लेकर बड़ा एलान, मेडिक्लेम पर 50,000 रुपये तक टैक्स छूट मिलेगी। बुजुर्गों को 80डी में मेेडिक्लेम पर टैक्स छूट मिलेगी। ● एक्ससाइज ड्यूटी में कमी के कारण पेट्रोल- डीजल के दामों में 2 रुपए की गिरावट। ● डिपॉजिट पर छूट 10 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये की गई है। ● स्टैंडर्ड डिडक्शन को फिर से शुरू किया गया। 40 हजार तक स्टैंडर्ड डिडक्शन मिलेगा। जितनी सैलरी है, उसमें 40 हजार घटाकर टैक्स देना होगा। ● इनकम टैक्स में कोई बदलाव नहीं, मिडिल क्लास को टैक्स में कोई छूट नहीं। ● 250 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनियों को 25 फीसदी टैक्स देना होगा। ● 250 करोड़ टर्नओवर वाली कंपनियों को 25 फीसदी टैक्स देना होगा। ● काले धन के खिलाफ सरकार की मुहिम का असर है कि देश में टैक्सपेयर्स की संख्या में इजाफा हुआ है। नोटबंदी और जीएसटी का असर सरकार के टैक्स रेवेन्यू पर पॉजिटिव हुआ है। हालांकि अभी भी टैक्स की चोरी हो रही है। ● सरकार 2017-18 में 5.95 लाख करोड़ रुपये का घाटा होगा। अभी जीडीपी का 3.5 फीसदी सरकारी घाटा है। डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन 12.6 फीसदी बढ़ा है। अगले साल का घाटा 3.3 फीसदी रहने का अनुमान है। इनकम टैक्स कलेक्शन 90 हजार करोड़ रुपये बढ़ा है। ● राष्ट्रपति, राज्यपाल का वेतन बढ़ेगा। राष्ट्रपति का वेतन 5 लाख रुपये होगा और उप-राष्ट्रपति का वेतन 4 लाख होगा। राज्यपाल का वेतन 3 लाख रुपये होगा। सांसदों के वेतन हर साल में बढ़ेंगे और सांसदों के भत्तों में इजाफा होगा। ● सोने के लिए नई नीति का एलान, जिससे सोना लाने-ले जाने में आसानी होगी। ● 14 बड़ी कंपनियां शेयर बाजार में लिस्ट होंगी और 2 बड़ी बीमा कंपनियों की शेयर बाजार में लिस्टिंग होगी, यानी ये शेयर बाजार में आएंगी। सरकारी कंपनियां बेचकर 80,000 करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे।