इशिका गुप्ता| navpravah.com
नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को बिजवासन रेलवे स्टेशन के विस्तार के लिए दिल्ली के शाहाबाद मोहम्मदपुर में लगभग 25,000 पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी। यह आदेश न्यायमूर्ति अभय ओका और पंकज मिथल की खंडपीठ ने उस याचिका पर सुनाया, जिसमें राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) के 13 फरवरी के आदेश के खिलाफ अपील की गई थी। एनजीटी ने पेड़ों की कटाई रोकने से मना किया था, यह मानते हुए कि 120 एकड़ का हरित क्षेत्र वन संरक्षण अधिनियम के तहत “वन भूमि” नहीं है।
न्यायालय ने स्पष्ट किया कि “हम प्रतिवादियों को संबंधित भूमि पर पेड़ों को काटने या नुकसान पहुंचाने से रोकते हैं। यह भी कहा गया कि वहां कोई निर्माण कार्य नहीं किया जाएगा।”
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने अपीलकर्ताओं के तर्कों पर ध्यान दिया, जिन्होंने कहा कि विस्तार परियोजना का क्षेत्र एक “माना हुआ वन” है, जिसे टीएन गोदावर्मन बनाम भारत संघ के 1996 के फैसले के बाद वन समान संरक्षण प्राप्त है।
उन्होंने यह भी बताया कि यह क्षेत्र दिल्ली हवाई अड्डे के निकट स्थित है और कार्बन डाइऑक्साइड का प्राथमिक फिल्टर का काम करता है। इसके अलावा, यह दक्षिण-पश्चिम दिल्ली के निवासियों के लिए शहर के फेफड़ों की भूमिका निभाता है, जहाँ हरियाली की बहुत कमी है।
न्यायालय ने रेल मंत्रालय के अधीन रेल भूमि विकास प्राधिकरण, दिल्ली वन विभाग और परियोजना को लागू करने वाली कंपनी से जवाब मांगा है। इसके साथ ही, मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी, और न्यायालय ने अंतरिम राहत पर नोटिस भी जारी किया है।
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन और अधिवक्ता अंकुर सूद, माधव गुप्ता, मनन वर्मा, मधुर पंजवानी, धमन त्रिवेदी और प्रशांत ने अपीलकर्ताओं की ओर से कोर्ट में पेशी दी।