मोरेटोरियम (Moratorium) अवधि के दौरान टाली गई EMI पर ब्याज न लेने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 2 हफ्ते सुनवाई टाल दी है। कोर्ट ने कहा कि अब इस मामले को फाइनल सुनवाई के लिए आखिरी बार टाला जा रहा है। इस दौरान सब अपना जवाब दाखिल करें और ठोस योजना के साथ अदालत आएं। कोर्ट ने रिजर्व बैंक और सरकार को इस मसले पर ठोस निर्णय लेने के लिए दो हफ्ते का समय दिया। कोर्ट ने 31 अगस्त को खत्म मोरेटोरियम अवधि को बढ़ाने पर विचार की भी बात कही।
एनपीए घोषित होने से कर्जदार की बढ़ जाती हैं दिक्कतें
बता दें कि अगर किसी लोन की ईएमआई लगातार तीन महीने तक न जमा की जाए तो बैंक उसे एनपीए यानी गैर निष्पादित परिसंपत्ति घोषित कर देते हैं। एनपीए का मतलब यह है कि बैंक उसे फंसा हुआ कर्ज मान लेते हैं। ऐसे कर्जधारकों की रेटिंग खराब हो जाती है और आगे उन्हें लोन मिलने में काफी दिक्कत होती है। तीन सितंबर को लोन मोरेटोरियम मामले की सुनवाई 10 सितंबर के लिए टल दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फिलहाल किश्त भुगतान न होने के आधार पर किसी भी एकाउंट को NPA घोषित न किया जाए।
लोगो की आर्थिक स्थिति मे अभी भी सुधार नहीं
सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने माना था कि जितने लोगों ने भी समस्या रखी, वह सही हैं. हर सेक्टर की स्थिति पर विचार जरूरी है. लेकिन बैंकिंग सेक्टर का भी ध्यान रखना होगा. बैंकिंग अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और संकटग्रस्त परिसंपत्तियों का पुनर्निर्माण करने के लिए मजबूत बैंकों का होना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न प्रकार के बैंक हैं, एनबीएफसी भी हैं।
मोरेटोरियम की अवधि का ब्याज वसूलना उचित नहीं
कोविड-19 का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों पर अलग-अलग है। उन्होंने ये बातें उस वक्त कहीं जब रियल एस्टेट, बिजली क्षेत्र, पर्यटन, एमएसएमई और अन्य उद्योगों की ओर से कहा गया कि मार्च के बाद से आय कम होती जा रही है, ऐसे में मोरेटोरियम (रियायत) अवधि के लिए ब्याज वसूलना अनुचित और अतार्किक है। मेहता ने पीठ से कहा कि हम यहां प्रतिकूल वाद को लेकर नहीं हैं। आप यहां हैं। हम सब यहां हैं। सभी संकट का समाधान निकालने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ विकल्प उपलब्ध हैं। पहला, ब्याज को माफ करना। दूसरा, व्यापक है।
पुनर्भुगतान के बोझ को कम करना प्राथमिकता
इसके तहत पहला कदम ऋणों के पुनर्भुगतान के बोझ को कम करना होगा। अगली प्राथमिकता विभिन्न क्षेत्रों को फिर से पटरी पर लाने की है ताकि अर्थव्यवस्था चलती रहे। परिसंपत्तियों का पुनर्गठन हो और फिर बैंकिंग क्षेत्र सुचारू तरीके से काम करें।