एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
अमरनाथ यात्रा के लिए जाने वाले श्रद्धालुओं का पहला जत्था कल सुबह जम्मू और श्रीनगर से बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना हो जाएगा, अनुमान है कि करीब 60 दिनों तक चलने वाली इस यात्रा में ढाई लाख श्रद्धालु अमरनाथ की पवित्र गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए पहुंचेंगे।
इन श्रद्धालुओं की सुरक्षा इस साल सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौती बनी हुई है। हालात यह है कि जम्मू और कश्मीर में सुरक्षाबलों द्वारा चलाए गए ऑपरेशन आल आउट से बौखलाए आतंकी संगठन अपने लड़ाकों की मौत का बदला अमरनाथ यात्रा पर जाने वाली श्रद्धालुओं से लेना चाहते हैं।
आतंकियों के इन मंसूबों की भनक लगने के बाद सुरक्षाबलों ने भी अपनी कमर कस ली है, सुरक्षाबलों ने भी ठान लिया है कि किसी भी परिस्थिति में आतंकियों के मंसूबों को सफल नहीं होने दिया जाएगा।
अमरनाथ यात्रियों की सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए गृह मंत्रालय ने J&K पुलिस के साथ मिलकर करीब 60 हजार से अधिक जवानों की तैनाती यात्रा मार्ग में की है, एक अनुमान के तहत सुरक्षा एजेंसियां औसतन हर पांच श्रद्धालु की सुरक्षा में एक जवान की तैनाती कर रहे हैं।
सुरक्षाबलों ने जम्मू से बालटाल बेस कैंप के लिए रवाना होने वाले श्रद्धालुओं के हर जत्थे के साथ करीब 15 बटालियन फोर्स और 90 ड्रोन कैमरे तैनात किए जाएंगे, जिससे यात्रा के दौरान आतंकी साजिश का पता समय से लगाकर उन्हें नाकाम किया जा सके।
पहली बार अत्याधुनिक उपकरणों का उपयोग अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा से जुड़े वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, इस वर्ष अमरनाथ यात्रा की सुरक्षा को तकनीक पर आधारित किया गया है।
यात्रा के दौरान सीसीटीवी कैमरे, ड्रोन कैमरे, डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर, हैंड हेल्ड मेटल डिटेक्टर, एक्स-रे, बंकर, के साथ रेडियो फ्रिक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन टेक्नोलॉजी टैग और व्हीकल ट्रैकिंग चिप जैसे कई हाईटेक इक्यूपमेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है।