सौम्या केसरवानी। Navpravah.com
उत्तर प्रदेश की पूर्व सीएम और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती का आज 62वां जन्मदिन है और इसी मौके पर बीएसपी प्रमुख ने लखनऊ में ‘मेरे संघर्षमय जीवन और बीएसपी मूवमेंट का सफरनामा’ बुक का विमोचन किया। इस किताब का नाम ‘ब्लू बुक’ है, इस किताब में बीएसपी पार्टी के बनने से लेकर अब तक की कहानी है।आज मीडिया के सामने आईं बीएसपी प्रमुख मायावती ने भाजपा और कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
मायावती ने कहा कि हर हर मोदी, घर-घर मोदी का नारा देने वाले नरेंद्र मोदी जी इस बार अपने ही घर गुजरात में बेघर होते-होते बच गए हैं, फिर मायावती ने कांग्रेस पार्टी पर भी निशाना साधते हुए कहा कि आजादी के बाद से कांग्रेस और अब बीजेपी ने हर वर्ग को नुकसान पहुंचाया है। आज हर राज्य में सांप्रदायिक और जातिवादी माहौल बनाया जा रहा है।
यूपी नगर निकाय चुनाव में बीएसपी ने बेहतर प्रदर्शन किया, जिसके बाद पार्टी को अस्तित्व में लाने के लिए कितना संघर्ष किया गया उसकी जानकारी आम कार्यकर्ताओं को देने की तैयारी की जा रही है, इसलिए किताब ब्लू बुक जनता के सामने पेश किया गया है। 15 जनवरी, 1956 को दिल्ली में दलित सरकारी कर्मचारी प्रभु दयाल और रामरती के परिवार में जन्मीं चंदावती देवी को आज पूरा भारत मायावती के नाम से जानता है, पिता प्रभु दयाल सरकारी कर्मचारी थे।
प्रभु दयाल ने अपनी बेटी मायावती को लेकर प्रशासनिक अधिकारी के रूप में देखने का सपना संजोया था, उनका सपना साकार करने के लिए मायावती ने काफी पढ़ाई भी की, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के कालिंदी कॉलेज से कला विषयों में स्नातक किया, गाजियाबाद के लॉ कॉलेज से कानून की परीक्षा पास की और मेरठ यूनिवर्सिटी के वीएमएलजी कॉलेज से शिक्षा स्नातक (बी.एड.) की डिग्री ली। कांशीराम ने मायावती के जीवन पर बहुत प्रभाव डाला, दलितों के उत्थान के लिए मायावती ने कांशीराम द्वारा बड़े पैमाने पर शुरू किए गए कार्यो व परियोजनाओं में शामिल होना शुरू कर दिया।
देश में जब कभी पिछड़ी जाति और दलित वर्ग के अधिकारों की बात की जाती है, तो सबसे पहले जुबान पर डॉ. भीमराव अंबेडकर, कांशीराम का नाम आता है. लेकिन 21वीं सदी में जिस महिला दलित नेता के नाम की गूंज पूरे उत्तर भारत में है, वह हैं ‘मायावती’। मायावती देश के सबसे बड़ी आबादी वाले राज्य उत्तर प्रदेश की राजनीति को समझा और दलित मुद्दे को उठाते हुए अपनी आवाज बुलंद की, धीरे-धीरे उनकी पैठ दलितों के साथ-साथ मुस्लिम समुदाय में भी बढ़ती चली गई।
मायावती ने अपने जीवन और बहुजन आंदोलन के सफर के बारे में एक किताब भी लिखी, इसके साथ ही उनके राजनीतिक संघर्ष पर वरिष्ठ पत्रकार अजय बोस की किताब ‘बहनजी:अ पॉलिटिकल बायोग्राफी ऑफ मायावती’ अब तक की सर्वाधिक प्रशंसनीय पुस्तक मानी जाती है।