ब्यूरो । navpravah.com
मुम्बई | महाराष्ट्र की भाजपा सरकार ने 20 फरवरी को मराठा आरक्षण को मंजूरी दे दी थी लेकिन इसके बावजूद मराठा आंदोलन तेज हो रहा है। मराठा आंदोलन के नेता मनोज जारांगे पाटिल ने चेतावनी दी थी कि यह गलत तरीके से आरक्षण दिया है और 17 दिनों की भूख हड़ताल करेंगे। आपको बता दें कि 25 जनवरी को भी वह हजारों युवाओं के साथ भीड़ लेकर मुंबई पहुंचे थे, तो उनके आगे सरकार दबाव में थी। उनकी बातों को मानने के लिए मजबूर थी लेकिन फिर ऐसी बात हुई कि वो अब शांत हो गए।
दरअसल इसकी शुरुआत मराठा आंदोलन के नेता के उकसाने वाले बयान से हुआ जब उन्होंने महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर आरोप लगाया कि वह उनकी हत्या भी करा सकते हैं। इसके अलावा उनके खिलाफ आपत्तिजनक बयान देते हुए उनके घर के घेराव की भी धमकी दी। इस बयान पर देवेंद्र फडणवीस सख्त हो गए और गृह मंत्रालय संभालने वाले डिप्टी सीएम ने बीड़ में हुई हिंसा की एसआईटी जांच का आदेश दे दिया। यह हिंसा पहले वाले मराठा आंदोलन के दौरान हुई थी।
कैसे भाजपा ने कर दिया मनोज जाएंगे पाटिल को शांत?
सूत्रों की माने तो देवेंद्र फडणवीस और कुछ अन्य भाजपा नेताओं ने एकनाथ शिंदे से इस मसले पर बात की। एक भाजपा नेता ने कहा हममें से ज्यादा लोग मानते थे कि शिंदे के साथ मनोज जारांगे पाटिल के आंदोलन को समर्थन कर रहे हैं। पुलिस को भी इस बारे में कुछ जानकारी मिली थी। इसके बाद हमने एकनाथ शिंदे से कहा कि आप ऐसा नहीं कर सकते कि आंदोलन की आड़ में अपनी छवि मजबूत करें और हमारी पार्टी के लिए मुश्किल खड़ी कर दें।’ भाजपा ने कहा, ‘हमारी लीडरशिप ने भी शिंदे से कहा कि वह पाटिल के मसले पर सार्वजनिक बयान दें।’
सरकार भी बची और विपक्ष भी आया बैकफुट पर
इसके बाद शिंदे ने पाटिल को ये चेतावनी दी कि सीमा पार न करें वरना उन पर एक्शन लिया जाएगा। इसके बाद जब मनोज जारांगे पाटिल के खिलाफ जांच का आदेश हुआ तो गठबंधन के वे लोग पीछे हट गए जो सपोर्ट कर रहे थे। इसके अलावा देवेंद्र फडणवीस ने मराठा कोटे की मांग के जवाब में ओबीसी कार्ड खेल दिया। इस तरह भाजपा ने मनोज जारांगे पाटिल को हैंडल कर सरकार भी बचा ली और विपक्ष को भी बैकफुट पर धकेल दिया।