आगामी दो महीने तक NPA नहीं, मोरेटोरियम पर सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत

न्यूज़ डेस्क | नवप्रवाह न्यूज़ नेटवर्क
लोन मोरेटोरियम के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लोगों को अंतरिम राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर अगस्त तक कोई बैंक लोन अकाउंट एनपीए घोषित नहीं है, तो उसे अगले दो महीने तक भी एनपीए घोषित न किया जाए। लोन मोरेटोरियम मामले में अब सुनवाई अगले हफ्ते 10 सितंबर को जारी रहेगी। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियां काफी महत्वपूर्ण रहीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार लोन न चुका पाने पर किसी पर जबरन कार्रवाई न करे।
– कर्जदार की रेटिंग होती है खराब
बता दें ​कि अगर किसी लोन की ईएमआई लगातार तीन महीने तक न जमा की जाए तो बैंक उसे एनपीए यानी गैर निष्पादित परिसंपत्ति घोषित कर देते हैं। एनपीए का मतलब यह है कि बैंक उसे फंसा हुआ कर्ज मान लेते हैं। ऐसे कर्जधारकों की रेटिंग खराब हो जाती है और आगे उन्हें लोन मिलने में काफी दिक्कत होती है।
– ब्याज माफ करना नुकसानदेह होगा
केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट से कहा कि अगर ऋण रियायत अवधि का ब्याज माफ कर दिया गया तो यह नुकसानदेह साबित होगा। इससे बैंकों की सेहत खराब हो जाएगी। बैंक कमजोर पड़ जाएंगे, जो कि अर्थव्यवस्था का अहम हिस्सा हैं। जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ के समक्ष केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और संकटग्रस्त परिसंपत्तियों का पुनर्निर्माण करने के लिए मजबूत बैंकों का होना आवश्यक है। उन्होंने यह भी कहा कि विभिन्न प्रकार के बैंक हैं, एनबीएफसी भी हैं। कोविड-19 का प्रभाव विभिन्न क्षेत्रों पर अलग-अलग है। उन्होंने ये बातें उस वक्त कहीं जब रियल एस्टेट, बिजली क्षेत्र, पर्यटन, एमएसएमई और अन्य उद्योगों की ओर से कहा गया कि मार्च के बाद से आय कम होती जा रही है, ऐसे में मोरेटोरियम (रियायत) अवधि के लिए ब्याज वसूलना अनुचित और अतार्किक है।
– परिसम्पत्तियों का पुनर्गठन हो
मेहता ने पीठ से कहा कि हम यहां प्रतिकूल वाद को लेकर नहीं हैं। आप यहां हैं। हम सब यहां हैं। सभी संकट का समाधान निकालने के लिए हैं। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए कुछ विकल्प उपलब्ध हैं। पहला, ब्याज को माफ करना। दूसरा, व्यापक है। इसके तहत पहला कदम ऋणों के पुनर्भुगतान के बोझ को कम करना होगा। अगली प्राथमिकता विभिन्न क्षेत्रों को फिर से पटरी पर लाने की है ताकि अर्थव्यवस्था चलती रहे। परिसंपत्तियों का पुनर्गठन हो और फिर बैंकिंग क्षेत्र सुचारू तरीके से काम करें।
उन्होंने कहा कि विभिन्न प्रकार के ऋण और कर्जदाताओं से निपटने के लिए अलग-अलग बैंक हैं। अधिकांश अर्थव्यवस्था बड़े कॉरपोरेट्स पर नहीं, बल्कि छोटे व्यवसायों पर चलती है। मोरेटोरियम बढ़ाने की मांग पर सुप्रीम कोर्ट में बृहस्पतिवार को भी सुनवाई होगी।

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