एनपी न्यूज़ डेस्क | Navpravah.com
चाय भारतीय समाज का एक अभिन्न अंग बन चुकी है, सर्वे के अनुसार पाया गया है लगभग 90% भारतीय बिना नागा किए चाय पीने के आदी होते हैं, इनमें से लगभग 25% लोग दिन भर में 2 बार से लेकर चार या पांच बार तक चाय का सेवन कर लेते हैं।
चाय भारतीय देन नहीं है चाय अंग्रेज अपने साथ भारत में लाए थे, लेकिन उस वक़्त भारतीय लोगों ने सोचा के अंग्रेजों के इस महँगे शौक को हमें भी अपनाना चाहिए बस यहीं से भारतीय लोगों ने इस बीमारी को अपने गले लगा लिया और तब से लेकर आज तक ये चलन जारी है ।
चाय लोगों का प्रिय पेय है, देश की करीब 80 से 90 फीसदी जनसंख्या सुबह उठने के साथ ही चाय पीना पसंद करती है,.बेड टी का कल्चर न केवल शहरों में प्रचलित है बल्कि गांव-देहात में भी लोग सुबह की शुरुआत चाय से करना पसंद करते हैं।
पहले लोग चाय कारण वश पीते थे जैसे डायबिटीज नियंत्रण के लिए, सर्दी में कमी करने के लिए, वजन कम करने के लिए और हैंगओवर रोकथाम के लिए इत्याेदि, अब आधुनिक वैज्ञानिक अनुसंधान ने चाय को स्वास्थ्य के लिए लाभकारी भी बता दिया गया है।
चाय चाहे काली चाय हो या ग्रीन चाय या किसी और फ्लेवर की, सभी चाय में एंटीऑक्सीोडेंट्स, एंटी कैटेचिन्स और पोलीफेनॉल्स होते है जो हमारे शरीर को सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हैं।
हरी चाय मूत्राशय, स्तन, फेफड़े, पेट, अग्नाशय के लिए एंटीऑक्सीडेंट का काम करती है और कोलोरेक्टल कैंसर के विकास की रोकथाम में फायदा करती है, स्ट्रोक का खतरा कम करने और कोलेस्ट्रॉल के स्तर के सुधार में भी मदद करती है
काली चाय में सबसे ज्यादा कैफीन सामग्री है, अध्ययनों से पता चला है काली चाय सिगरेट के धुएं के संपर्क की वजह से फेफड़ों को नुकसान से रक्षा करती है, यह स्ट्रोक का खतरा भी कम करती है।
चाय उम्र बढ़ने और प्रदूषण के प्रभाव के प्रकोपों से आपके शरीर की रक्षा करती है, चाय में कॉफी के मुकाबले कम कैफीन होती है।
चाय दिल का दौरा और स्ट्रोक के जोखिम को कम कर सकती है, चाय पीने की वजह से धमनियां चिकनी और कोलेस्ट्रॉल से मुक्त हो जाती हैं, अध्ययन में पाया गया कि चाय पीने वालों की हड्डियां,अधिक उम्र, अधिक वजन, व्यायाम, धूम्रपान और अन्य रिस्क फैक्टरों के बावजूद भी मजबूत है।