पारुल पाण्डेय | Navpravah.com
आजकल रोजमर्रा के जीवन में लोग खुद को गैजेट्स के बिना अधूरा मानते हैं। सुबह से शाम तक फोन व लैपटॉप में व्यस्त रहने के कारण अगर थोड़ी-थोड़ी देर के लिए भी इनसे दूरी बन जाए, तो लोग बेचैन होने लगते हैं। इसी स्ट्रेस को टेक स्ट्रेस कहते हैं। आजकल की लाइफस्टाइल के अनुसार हर काम के लिए हम अपने फोन पर निर्भर हैं। चाहे पढ़ाई करनी हो या गाना सुनना हो। खबर पढने से लेकर बैंक के सारे काम, बिल भरना सबकुछ फोन या लैपटॉप से चुटकियों में हो जाता है। वहीं अब कई प्रकार के ऐप्स हमारे कार्य को और सरल बना देते हैं।
ज़रूरत से ज़्यादा मोबाइल फोन या दूसरे गैजेट्स का इस्तेमाल दिमाग पर बुरा प्रभाव डालता है। इन गैजेट्स से निकलने वाली सूक्ष्म तरंगें कॉर्टिकल दिमाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर असर डालती हैं, जिससे दिमाग की तर्कक्षमता भी प्रभावित होती है। इतना ही नहीं, इससे शारीर को भी काफी नुकसान पहुंचता है। कंप्यूटर पर लगातार काम करने से अक्सर गर्दन अकड़ जाती है, जिसके कारण गर्दन में दर्द होने लगता है। इसका कारण गर्दन की धमनियों में ठीक से रक्त प्रवाह नहीं होना है, जिसकी वजह से खून दिमाग तक भी नहीं पहुंच पाता है। इससे मन में तनाव होने लगता है, जिसे टेक स्ट्रेस कहा गया है।
बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी अपने जीवन में किसी न किसी वजह से तनाव में हैं, ऐसे में हमें यह पहचानना जरूरी है कि आप किस तरह के मानसिक रोग से परेशान हैं। जानते हैं, टेक स्ट्रेस नामक रोग के लक्षण क्या हैं।
अगर आप टेक स्ट्रेस से ग्रसित हैं, तो आपको गैजेट्स से ज़रा भी दूरी बर्दाश्त नहीं होगी। और आसपास मोबाइल फोन न होने पर भी उसकी रिंगटोन या नोटिफिकेशन टोन सुनाई देगी। सोते समय भी फोन आसपास रखने या गाना सुनने अथवा वीडियो देखने की आदत होगी। सिर में अक्सर दर्द होगा या बेचैनी महसूस होगी।
ऐसे में इस रोग से बचने के लिए इलाज करवाने से बेहतर है कि उससे अपना बचाव किया जाए। जानें कुछ ऐसे टिप्स, जिनसे टेक स्ट्रेस को खूद पर हावी होने से बचा जा सके।
सोने से दो घंटे पहले से ही गैजेट्स से दूरी बना लें। इन्हें अपने बेड के आसपास तो बिलकुल न रखें। साथ ही ऐप्स पर निर्भर होने से बचें। अगर कोई महत्वपूर्ण कॉल या मेसेज आने की संभावना न हो तो फोन को रिंगर या वाइब्रेशन मोड के बजाय साइलेंट मोड पर रखें। अपने खाली समय में मोबाइल पर गेम खेलने या साइट्स सर्फ करने के बजाय उसे एक्स्ट्रा करिकुलर ऐक्टिविटीज़ में इन्वेस्ट करें। जब दोस्तों या परिजनों के साथ हों, तो फोन को खूद से दूर रखें।कुछ समय के अंतराल पर सोशल मीडिया अकाउंट्स को डीऐक्टिवेट करते रहें। प्रकृति या किताबों के साथ ज़्यादा से ज़्यादा समय व्यतीत करें। इस दौरान यदि आप अपने फोन को मिस नहीं करते हैं, तो टेक स्ट्रेस के होने की आशंका कम रहती है।