सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
आजकल बदलते समय के साथ लोगों को ढंग से नीद नहीं आती है। नींद ना आने के कई कारण हो सकते हैं। बिगड़ती जीवनशैली और असमय खान-पान नींद ना आने के मुख्य कारणों में से एक हैं। इसके अलावा तनाव, अवसाद और लंबी बीमारी आदि बहुत से कारण हैं, जो नींद उड़ा सकते हैं। कारण कोई भी हों, पर ये तय है कि लंबे समय तक नींद पूरी ना होने से शरीर में कई रोग घर बना लेते हैं।
स्लीप एप्नियाजब सबसे गंभीर स्लीपिंग डिसॉर्डर में से एक है। समय रहते इसका इलाज ना किया जाए, तो सोते समय मरीज की सांस बार-बार रुकने लगती है। स्लीप एप्निया भी दो प्रकार का होती है,
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एप्निया- ज्यादातर लोगों में यही स्लीपिंग डिसॉर्डर देखने को मिलता है। सोते समय गले के पिछले हिस्से में मौजूद टिश्यू आपस में जुड़ने लगते हैं, इससे सांस की नली में बाधा आने पर नींद टूट जाती है।
सेंट्रल स्लीप एप्निया- इस स्थिति में सांस की नली में अवरोध उत्पन्न नहीं होता, लेकिन दिमाग शरीर को सांस लेने के लिए संकेत देना भूल जाता है।
डॉ. रेशू केसरवानी के अनुसार, सुस्ती अनिद्रा के कारण लोगों में दिखाई देने वाला एक आम लक्षण है। जब एक व्यक्ति की रोज की नींद पूरी नहीं होती, तो उसके स्वभाव में चिड़चिड़ापन होने लगता है। ऐसे लोगों को बहुत जल्दी गुस्सा आने लगता है और वे धीर-धीरे डिप्रेशन का शिकार हो सकते हैं।
डॉ. ने बताया कि अगर अनिद्रा की समस्या काफी लंबे समय के लिए हो जाए, तो यह शरीर के लिए गंभीर और चिरकारी हो जाती है। जिसका इलाज़ अच्छे चिकित्सक से ही करवाना चाहिए। अगर एक व्यक्ति 30 दिनों से भी अधिक समय तक के लिये ठीक से ना सो पाए, तो इसका अर्थ यह है कि वह चिरकालीन अनिद्रा का शिकार है और तो और अनिद्रा के कारण साइकोसोमैटिक परेशानियां जैसे डीप्रेशन, घबराहट, आत्मबल की कमी जैसी समस्याएं भी हो जाती हैं।
डा. ने आगे बताया कि यदि हमें अनिंद्रा से बचना है, तो हमें तनाव कम लेना चाहिए। देर रात तक टीवी, कंप्यूटर, और मोबाइल फोन पर समय नही बिताना चाहिए। चाय व कॉफी का सेवन अधिक मात्रा में नही करना चाहिए और रात में सोने का समय नियमित निर्धारित कर लेना चाहिए। साथ ही सोने से पहले ठंडे पानी से मुंह, हाथ और पैर धोकर ही बिस्तर पर सोने जाएं। हमेशा साफ-सुथरे और करीने से लगे बिस्तर पर ही लेटें, इससे भी अच्छी नींद आने में मदद मिलती है। गर्म दूध पीकर सोने की आदत डालें।
जिस कमरे में आप सोते हों, वहां का तापमान अत्यधिक गर्म या ठंडा नहीं होना चाहिए। रात का भोजन सोने से कम से कम दो घंटे पहले जरूर कर लें, ताकि वह आसानी से पच जाए। यदि व्यायाम करने का शौक है, तो रात में भारी कसरत करने से बचें। सोने से पहले हल्का संगीत सुनें, जिससे नींद अच्छी आयेगी।