वर्ल्ड डेस्क। शिनजियांग प्रांत में चीन लगातार मुस्लिम बच्चों को उनके परिवारों, धार्मिक विश्वासों और भाषा से अलग कर रहा है। चीन ने एक साथ कई हजार बच्चों को बड़े से कैंपस में बंद कर रखा गया है और इस इलाके में तेजी से पुनर्शिक्षा स्कूल बनाए जाने का काम कर रहा है।
आमतौर पर उपलब्ध डॉक्यूमेंट्स और दूसरे देशों में शरण लिए हुए कई परिवारों के साथ किए गए इंटरव्यू के मुताबिक बीबीसी ने ऐसे कई डॉक्यूमेंट्स जुटाए हैं, जिनके अनुसार चीन के शिनजियांग प्रांत के बच्चों के साथ होने वाली ये ज्यादतियां सामने आई हैं।
दरअसल चीन इन बच्चों को बचपने से ही उनकी जड़ों से अलग करने का व्यवस्थित कार्यक्रम चला रहा है। इस पर रिपोर्ट करने वाले पत्रकार ने बताया कि चीन के इस इलाके में काम करने वाले विदेशी पत्रकारों पर नज़र रखी जाती है और उनका पीछा भी किया जाता है, ऐसे में स्थानीयों से बात करना मुश्किल है। ऐसे में इन्होंने तुर्की में रह रहे ऐसे बच्चों के परिजनों से बात की है।
तुर्की में जाकर बस चुके हैं ज्यादातर मुसलमान
54 अलग-अलग इंटरव्यू में परिजनों ने इस प्रांत से गायब हुए 90 बच्चों की कहानियां सुनाईं। ये सभी लोग शिनजियांग में बसे चीन के उइगर समुदाय से हैं। चीन के इस समुदाय के तुर्की से भी नजदीकी रिश्ते हैं। ऐसे में हजारों की संख्या में चीन के इस प्रांत से मुसलमान तुर्की में पढ़ने, व्यापार करने, परिजनों से मिलने या अपने चीन की ओर से इस समुदाय पर पड़ रहे धार्मिक दबाव से बचने के लिए तुर्की भाग आए हैं।
पिछले तीन सालों में तुर्की आए मुसलमान वापस चीन नहीं लौट रहे हैं क्योंकि चीन ने वहां पर मुसलमानों को गिरफ्तार करना शुरू कर दिया है। इन लोगों को चीन ने विशाल जेलों में बंद कर रखा है, जिन्हें वह सुधारगृह कहता है। चीन कहता है कि हिंसक धार्मिक कट्टरता से बचने के लिए वह इन लोगों को प्रशिक्षण दे रहा है।
हालांकि समय-समय पर सामने आए सबूतों के मुताबिक इनमें से लाखों मात्र अपनी धार्मिक पहचान के चलते गिरफ्तार किए गए हैं। इन्हें मात्र इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया क्योंकि इन्होंने नमाज़ पढ़ी, बुर्का पहना या फिर तुर्की में किसी से संबंध रखा।
यहां मौजूद बच्चों के लिए चीन तेजी से स्कूलों को बड़ा कर रहा है। इसके अलावा वह नए हॉस्टलों का निर्माण भी कर रहा है। उसका प्रयास इन हॉस्टल्स की क्षमता को बढ़ाना है।