संवाददाता| navpravah.com
नई दिल्ली| केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का कहना है कि केंद्र सरकार जम्मू-कश्मीर में सशस्त्र बल अधिनियम को हटाने पर विचार करेगी। एक साक्षात्कार के दौरान उन्होंने कहा कि सरकार वहां से सैनिकों को वापस बुलाने और कानून व्यवस्था को अकेले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर छोड़ने की योजना बना रही है। उन्होंने कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस पर भरोसा नहीं किया जा सकता था लेकिन अब वे विभिन्न ऑपरेशन का नेतृत्व कर रहे हैं।
विभिन्न संगठनों व लोगों ने की है अफस्पा हटाने की मांग
गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के विभिन्न संगठनों व लोगों ने अफस्पा हटाने की मांग की है। उन्होंने कहा, कश्मीर में लोकतंत्र को स्थापित करना प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वादा है और इसे पूरा किया जाएगा। यह लोकतंत्र केवल तीन परिवारों तक सीमित नहीं रहेगा, यह लोगों का लोकतंत्र होगा। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कश्मीर में सितंबर से पहले विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश दिया है।
क्या है अफस्पा?
अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्रों में काम कर रहे सशस्त्र बलों के जवानों को अधिकार देता है कि यदि सार्वजनिक व्यवस्था के रखरखाव के लिए उन्हें जरूरत पड़े तो वे तालाशी, गिरफ्तारी और गोली चला सकतें हैं। सशस्त्र बलों के संचालन को सुविधाजनक बनाने के लिए इस अधिनियम के अंतर्गत किसी क्षेत्र या जिले को अशांत घोषित किया जाता है।
जेके मीडिया ग्रुप को दिए गए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा कि भाजपा और पूरी सांसद का मानना है कि पीओके भारत का अभिन्न अंग है। उन्होंने आगे कहा, “मुस्लिम भाई भी भारतीय हैं और पीओके में रहने वाले हिंदू भाई भी भारतीय हैं और पाकिस्तान ने जो जमीन अवैध रूप से कब्जा कर ली है वह भी भारत की है। इसे वापस पाना हर भारतीय, हर कश्मीरी का लक्ष्य है। आज पाकिस्तान भूख और गरीबी की मार से घिरा हुआ है और वहां के लोग भी कश्मीर को स्वर्ग के रूप में देखते हैं। मैं सभी को बताना चाहता हूं कि अगर कोई कश्मीर को बचा सकता है, तो वह प्रधान मंत्री मोदी हैं।”