मनोरंजन डेस्क. पुलिस महकमें में कुछ अफसर ऐसे होते है जिनकी कार्यशैली बिलकुल अलग होती है और वे अपने साहसी स्वभाव से एक मिशाल बन जाते है। ऐसे ही एक अधिकारी राजस्थान के बाड़मेर जिले की रेतीली जमीन पर तपे सांगाराम जांगिड़ है जिन्होंने एक पुलिस अधिकारी के रूप में दक्षिण भारत में अमिट छाप छोड़ी। बावरिया गैंग को पकड़कर वह राष्ट्रीय स्तर पर इस कदर चर्चित हुए कि उन पर बनी तेलुगू फिल्म थीरन ने जबरदस्त धूम मचाई। बाद में उसे टेलीविजन पर हिंदी में डब कर रिलीज किया गया था। अब उन्हीं जांगिड़ की कहानी पर फिल्म निर्माता रोहित शेट्टी ‘सूर्यवंशी’ बना रहे हैं, जो जल्द रिलीज होने वाली है। फिल्म में मुख्य भूमिका में अक्षय कुमार में नजर आएंगे।
बाड़मेर के कवास गांव निवासी सांगाराम जांगिड़ वर्ष 1985 में भारतीय पुलिस सेवा (आइपीएस) में चयनित हुए। वह अपने जिले से आईपीएस बनने वाले पहले व्यक्ति थे। उन्हे तमिलनाडु कैडर मिला। विभिन्न जिलों में तैनाती के दौरान वह काफी लोकप्रिय हो गए थे, लेकिन वर्ष 2005-06 में बावरिया गैंग का पर्दाफाश कर वह राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गए। इस गैंग की वजह से तमिलनाडु और आंध्रपदेश में लूट और हत्या की वारदातें बढ़ रही थीं। तमिलनाडु में ही हत्या और डकैती की 24 वारदातों को अंजाम दिया था। इस बीच, इस गैंग ने तमिनलाडु की तत्कालीन मुख्यमंत्री जयललिता के खास विधायक टी. सुदर्शन एवं कांग्रेस नेता टीएम नटराजन की हत्या कर दी। तब जयललिता ने तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) सांगाराम जांगिड़ की अगुवाई में एक टीम बनाई।
विधायक की हत्या वाली जगह पर मिली एक जोड़ी जूती के सहारे जांगिड़ ने जांच को आगे बढ़ाया। जूती से साफ हो गया था कि आरोपित उत्तर भारत के हैं, क्योंकि दक्षिण भारत में जूती नहीं पहनी जाती है। मौके के फिंगर प्रिंट भी काफी काम आए। जांगिड़ ने अपने 50 साथी अधिकारियों एवं पुलिसकर्मियों के साथ राजस्थान, हरियाणा एवं उत्तरप्रदेश में ऑपरेशन चलाया। ऐसे अपराधों में शामिल रहने वाले बावरिया और कंजर गिरोह की छानबीन की गई। इस ऑपरेशन को करीब पांच माह बाद सफलता मिली।
जांच के दौरान आगरा जेल में 1996 में बंद रहे आरोपितों के फिंगर प्रिंट मौका-ए-वारदात से लिए गए फिंगर प्रिंट से मेल हो गए। जांगिड़ की टीम ने आगरा से सटे राजस्थान के धौलपुर, भरतपुर एवं उत्तर प्रदेश के मेरठ और हरियाणा के पलवल में छापेमारी करते हुए 13 लोगों को गिरफ्तार किया। गैंग का सरगना भरतपुर का ओम बावरिया था। आरोपितों ने विधायक की हत्या सहित अन्य वारदातें करना स्वीकार कर लिया। अदालत ने इनमें दो लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई, शेष को अलग-अलग सजा हुई।
सांगाराम जांगिड़ बताते हैं कि ओम बावरिया गैंग हाईवे पर चलने वाले ट्रकों में सवार होकर अपने निशाने पर पहुंचता और वारदात को अंजाम देने के बाद दूसरी जगह चला जाता था। ये लोग लूट के बाद मालिक की नृशंस तरीके से हत्या करते थे, उसे जीवित नहीं छोड़ते थे। गैंग के पकड़े जाने के बाद जांगिड़ देशभर में चर्चा का केंद्र बन गए। उनकी कहानी आज भी दक्षिण भारत में चर्चित है। वह पिछले साल जुलाई में रिटायर हो गए। उन्हीं के परिवार के एक सदस्य जोगाराम राजस्थान कैडर में आईएएस अधिकारी हैं।