सौम्या केसरवानी | Navpravah.com
तीर्थराज प्रयाग में गंगा, यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम के किनारे इन दिनों आस्था का संगम देखने को मिल रहा है। संगम तट पर एक नयी दुनिया ही इस समय बस गयी है, ये अद्भुत नजारा देखते ही बनता है। माघ मेला हिन्दुओं का सर्वाधिक प्रिय धार्मिक एवं सांस्कृतिक मेला है। यह भारत के सभी प्रमुख तीर्थ स्थलों में मनाया जाता है। नदी या सागर स्नान इसका मुख्य उद्देश्य होता है।
मकर संक्रांति और मौनी अमावस्या के चलते यहां करोड़ों लोगों ने स्नान किया और मेले का लुफ्त उठाया और अब आगे आने वाले नहान में भी प्रशासन अपनी तरफ से तैयार है। मेले में आने वाले श्रद्धालुओं और तट पर रहकर कल्पवास कर रहे लोगों को कोई असुविधा न हो इसके लिए सारे जरूरी इंतजाम किए गए हैं। साफ-सफाई से लेकर महिलाओं के रहने और कपड़े बदलने के लिए भी सुरक्षित स्थान जगह-जगह बनाए गए हैं। पिछले साल के 500 शौचालयों के मुकाबले इस बार 5000 शौचालय मेला परिसर में बनवाए गए हैं। लोग गुम न हों, इसके लिए भूले-बिसरे शिविर की टीम भी अच्छा काम कर रही है।
इस बार पुलिस के अलावा सेना की ओर से आरएएफ ने भी सुरक्षा के इंतजाम किये हैं। श्रद्धालुओं को असुविधाओं का सामना न करना पड़े इसलिए मेले में आने और जाने के लिए अलग-अलग मार्ग निर्धारित किए गए हैं। पूरे मेला क्षेत्र में 45 सीसीटीवी कैमरों से नजर रखी जा रही है और पुलिस के जवान गश्त पर हैं। इसके अलावा पर्याप्त संख्या में महिला पुलिस की टुकड़ियां भी तैनात हैं। प्रधानमंत्री के स्वच्छ भारत अभियान के मद्देनजर इस बार माघ मेले में साफ-सफाई के लिए खास इंतजाम करते हुए, प्रदेश भर से सफाईकर्मी बुलाए गए हैं। संगम तट के आसपास और कल्पवासियों के लिए बड़ी संख्या में शौचालय और प्रसाधन केंद्र भी बनाए गए हैं।
साल 2018 के माघ मेले को प्रशासन अगले साल माघ में आयोजित होने वाले अर्द्धकुंभ मेले की तैयारी मानकर इंतजाम कर रहा है। इसलिए इस साल मेले का आयोजन भी अन्य वर्षों की अपेक्षा अधिक विस्तृत क्षेत्र में किया गया है। मेले में श्रद्धालुओं की संख्या को ध्यान में रखकर पांच अस्थाई पुल भी बनाए गए हैं। आगामी अर्द्धकुंभ मेले को देखते हुए प्रशासन ने ऐसे कई इन्तेजाम इस बार केवल परिक्षण के तौर पर किया है।